Last Updated: Thursday, November 24, 2011, 15:03
नई दिल्ली : वैश्विक आर्थिक हालात ऐसे ही निराशाजनक रहे तो भारतीय रुपया अगले साल मार्च तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 55.10 रुपए प्रति डॉलर तक गिर सकता है। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल ऐसोचैम ने यह ताजा अनुमान व्यक्त किया।
ऐसोचैम ने कहा, ‘यदि वैश्विक आर्थिक हालात ऐसे ही बने रहे तो बढ़ते तेल आयात बिल और बाह्य ऋण में बढ़ोतरी के बीच रुपया-डॉलर विनिमय मूल्य अगले साल जनवरी तक 53.80 रुपए और मार्च तक रुपया 55.10 के स्तर तक नीचे गिर सकता है।’ उद्योग संगठन ने कहा कि यूनान के ऋण संकट के बीच अगस्त 2011 में अमेरिकी सरकार की ऋण साख घटाए जाने के बाद रुपए में गिरावट शुरू हुई।
जुलाई में रुपया डॉलर के मुकाबले 44.40 के स्तर पर था जो अगस्त में 45.50 पर पहुंच गया और सितंबर में यह 47.60 पर पहुंच गया। बाद में अक्तूबर में यह 49.30 के स्तर पर पहुंच गया और इस सप्ताह यह 52.73 रुपए प्रति डॉलर के अब तक के न्यूनतम स्तर तक गिर गया।
भारत के बाह्य ऋण में डॉलर का आधिपत्य है। कुल ऋण में 54.2 फीसदी डॉलर में है। अप्रैल से नवंबर के बीच रुपए में 16.54 फीसदी की गिरावट के कारण डॉलर के रूप में लिए गए ऋण पर ब्याज भुगतान की राशि बढ़ेगी।
रुपए में कमजोरी से आम तौर पर घरेलू मुद्रास्फीति पर भी दबाव बढ़ सकता है।
ऐसोचैम ने कहा, ‘भारत ढांचागत तरीके से आयात केंद्रित देश है जैसा कि हर महीने चालू खाता घाटे के लगातार उच्च स्तर पर बने रहने से स्पष्ट है, इससे घरेलू लागत बढ़ेगी।’
(एजेंसी)
First Published: Thursday, November 24, 2011, 20:33