Last Updated: Thursday, January 10, 2013, 13:49

मुंबई : किंगफिशर एयरलाइंस के चेयरमैन विजय माल्या ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कर्मचारियों को एक पत्र लिखकर कहा है कि कंपनी का को चलाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
महीनों से वेतन न मिलने के कारण उद्वेलित किंगफिशर कर्मियों ने एयरलाइन को बंद कराने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की कल ही धमकी दी है। माल्या का आज का पत्र उसी संदर्भ में देखा जा रहा है। साथ ही माल्या ने कर्मचारियों से मीडिया के साथ बातचीत में सतर्क रहने को कहा है। उन्होंने मीडिया पर कंपनी के खिलाफ अनर्गल खबरें देने का आरोप लगाया है।
किंगफिशर एयरलाइंस के कर्मचारियों ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर प्रबंधन कंपनी को पटरी पर लाने की योजना को उनके साथ साझा नहीं करता है तो वे कंपनी कानून के तहत विमानन इकाई को बंद करने की याचिका अदालत में दायर करेंगे। कर्मचारियों को पिछले आठ महीने से वेतन नहीं मिला है।
माल्या ने पत्र में अपने कर्मचारियों से कहा है कि हमने डीजीसीए को कंपनी फिर से शुरू करने के बारे में विस्तृत योजना दी है जो दो भागों में है। पहले हिस्से में सीमित संख्या में सात विमानों को परिचालन शुरू करने की योजना का जिक्र है जिसे चार महीने में बढ़ाकर 21 तक किया जाएगा। दूसरे भाग में विमानन कंपनी को पूरी तरह से परिचालन में लाने की योजना है। इसके तहत पुनपूर्ंजीकरण के 12 महीने के भीतर विमानों के परिचालन की संख्या बढ़ाकर 57 किया जाएगा। पत्र में हालांकि कर्मचारियों का बकाया वेतन देने के बारे में कोई जिक्र नहीं हैं। लेकिन इसमें कहा गया है कि दोनों योजनाओं में वित्त पोषण समेत कर्मचारियों का बकाया वेतन के भुगतान समेत विस्तृत जानकारी दी गयी है। किंगफिशर अपने कर्मचारियों को पिछले साल मई से भुगतान नहीं किया है।
मीडिया के साथ बातचीत में कर्मचारियों को सतर्क रहने की अपील करते हुए माल्या ने पत्र में आरोप लगाया है कि मीडिया किंगफिशर के खिलाफ निरंतर नकारात्मक रिपोर्टिंग कर रहा है। किंगफिशर प्रबंधन ने कर्मचारियों को जून तक के बकाये का भुगतान पिछले साल दिसंबर तक करने का वादा किया था। हालांकि कंपनी समयसीमा का पालन करने में विफल रही। बकाये का भुगतान नहीं होने के कारण इंजीनियरों तथा पायलटों की दो महीने की हड़ताल के बाद कंपनी ने यह वादा किया था।
किंगफिशर का उड़ान लाइसेंस की अवधि 31 दिसंबर को समाप्त हो गयी। कंपनी ने पिछले महीने विमान नियामक डीजीसीए को पुनर्गठन योजना सौंपी थी। हालांकि डीजीसी ने इसे स्वीकार नहीं किया और अतिरिक्त ब्योरा देने को कहा।
कंपनी का घाटा बढ़कर 8,000 करोड़ रुपये हो गया और उस पर 7,524 करोड़ रुपये का ऋण है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, January 10, 2013, 13:49