Last Updated: Monday, June 18, 2012, 14:42

नई दिल्ली: वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि नीतिगत ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने का फैसला करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के दिमाग में संभवत: मुद्रास्फीति की चिंता हावी थी।
मुखर्जी ने केंद्रीय बैंक द्वारा वर्ष 2012-13 की मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में आज अपनाए गए रुख पर कहा कि मध्य तिमाही समीक्षा से पहले आरबीआई गवर्नर का उनसे संपर्क करना जरूरी नहीं था।
वित्त मंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि आरबीआई की निर्णय प्रक्रिया पर मुद्रास्फीति के आंकड़ों का असर रहा होगा।
आरबीआई ने बढ़ती मुद्रास्फीति और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के मद्देनजर रेपो दर को अपरिवर्तित रखा जबकि बाजार को इसमें कम से कम 0.25 अंक की कमी किए जाने की उम्मीद थी ताकि कारोबार के लिए कर्ज सस्ता हो सके। रिजर्व बैंक के सख्त रुख से निवेशकों में निशा हुई और स्थानीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गयी। केंद्रीय बैंक ने आरक्षित नकद अनुपात को 4.75 फीसद पर अपरिवर्तित रखा।
थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मई में बढ़कर 7.55 फीसद हो गई जो अप्रैल में 7.23 फीसद थी। इसके अलावा खुदरा मुद्रास्फीति भी मई में बढ़कर 10.36 फीसद हो गई जो पिछले महीने 10.32 फीसद थी। (एजेंसी)
First Published: Monday, June 18, 2012, 14:42