Last Updated: Tuesday, April 30, 2013, 18:27
मुंबई : चालू वित्त वर्ष में 6 प्रतिशत आर्थिक की अधिक की वृद्धि दर हासिल करने का विश्वास जताते हुए आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने आज कहा कि मुद्रास्फीति में और कमी से रिजर्व बैंक को नीतिगत ब्याज दरों को नरम बनाये रखने में मदद मिलेगी।
उद्योग मंडल फिक्की के एक कार्यक्रम के दौरान अलग से बातचीत में मायाराम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर रिजर्व बैंक दरों को नरम करने की प्रवृत्ति जारी रखता है तो हमें खुशी होगी। नीतिगत ब्याज दरों किस सीमा तक कटौती होगी, यह रिजर्व बैंक के विवेक पर निर्भर है। हमारा मानना है कि नीतिगत ब्याज दरों को नरम बनाने का मामला बनता है।’’ इस सप्ताह शुक्रवार को सालाना मौद्रिक नीति की घोषणा होने से पहले नीतिगत दरों में कटौती की बात की गयी है। ऐसी संभावना है कि शीर्ष बैंक नीतिगत ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा क्योंकि मुद्रास्फीति दबाव अनुमानित स्तर से काफी नीचे आया है।
मायाराम ने कहा, ‘‘हमारा विश्वास है कि चालू वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6 प्रतिशत से अधिक रहेगी और अगले साल यह 7 से 7.5 प्रतिशत के बीच रह सकती है। उसके बाद हमें पूरा विश्वास है कि अर्थव्यवस्था अपनी क्षमता के मुताबिक 8 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर लौट आएगी।’’ हालांकि विश्वबैंक ने आज चालू वित्त वर्ष के लिये जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान कम कर 6.1 प्रतिशत कर दिया। कुछ महीने पहले वैश्विक संस्था ने 7 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान जताया है।
मायाराम ने कहा कि सकल मुद्रास्फीति मार्च में तीन माह के निम्न स्तर 5.96 प्रतिशत पर आ गयी। रबी फसल बेहर रहने से इसमें और कमी आने की संभावना है। मौसम विभाग ने भी इस साल मानसून सामान्य रहने का अनुमान जताया है, इससे भी मुद्रास्फीति के नरम होने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि सकल मुद्रास्फीति के उच्च स्तर पर बने रहने के कारण रिजर्व बैंक ने कई बार नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि की। इसमें कमी आने के संकेत के बाद ही आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये मौद्रिक नीति के रूख में नरमी आयी है। आर्थिक वृद्धि दर इस साल एक दशक के निम्न स्तर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
मायाराम ने चालू खाते का घाटा 5 प्रतिशत से अधिक रहने को लेकर चिंता जतायी और व्यापार असंतुलन दूर करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आपसी लाभ के लिये उभरती ‘दक्षिण-दक्षिण’ अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय बाजारों के बेहतर समन्वय की जरूरत है। मायाराम ने कहा कि लंदन, अमेरिका तथा जापान जैसे विकसित वित्तीय केंद्र पूंजी प्रवाह निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं पर विकासशील देश इस प्रकार का वित्तीय केंद्र स्थापित करने में सफल नहीं हुए हैं। प्रस्तावित मुद्रास्फीति सूचकांक से संबद्ध बांड के बारे में उन्होंने कहा कि यह उन लोगों को सुरक्षा देगा जो मुद्रास्फीति से बचाव चाहते हैं। रिजर्व बैंक इस पर काम कर रहा है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 30, 2013, 18:27