मोबाइल कॉल दरों का महंगा होना तय - Zee News हिंदी

मोबाइल कॉल दरों का महंगा होना तय

ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली : भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए सोमवार को अपनी सिफारिशें जारी कर दीं। मंत्रालय यदि ट्राई की सिफारिशों को मानता है तो मोबाइल की कॉल दरों का महंगा होना तय माना जा रहा है। ट्राई ने 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए स्पेक्ट्रम का आरक्षित मूल्य करीब 3,622 करोड़ रुपए रखा है, जिसे काफी ज्यादा माना जा रहा है।

 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रद्द हुए 122 लाइसेंसों से खाली हुए स्पेक्ट्रम की नीलामी इसके तहत की जानी है। नए ऑपरेटरों ने 2008 में स्पेक्ट्रम के लिए जितनी कीमत चुकाई थी, उससे इस बार करीब 9.6 गुना ज्यादा आरक्षित मूल्य रखा गया है। ट्राई ने दूरसंचार नीति में एक और बड़ा परिवर्तन किया है और सिफारिश की है कि नीलाम किए गए स्पेक्ट्रम में किसी भी तरह की तकनीकी सेवाएं दी जा सकती हैं। इसमें मौजूदा ऑपरेटरों को भी यह विकल्प अपनाने की छूट होगी।

 

800 मेगाहर्ट्ज (सीडीएमए सेवाओं के लिए) और 900 मेगाहर्ट्ज (जीएसएम के लिए) ट्राई ने 7,244 करोड़ रुपए का आरक्षित मूल्य रखने की सिफारिश की है, जो 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड के आरक्षित मूल्य से करीब दोगुना है। ट्राई ने कहा, 'विभिन्न बैंडों पर उपलब्ध स्पेक्ट्रम के आरक्षित मूल्य के हिसाब से सरकार को करीब 7 लाख करोड़ रुपए मिल सकते हैं।'

 

हालांकि ट्राई की सिफारिश से दूरसंचार ऑपरेटर खुश नहीं हैं। सीओएआई के महानिदेशक राजन मैथ्यू ने कहा, 'आरक्षित मूल्य काफी ज्यादा रखा गया है। इससे दूरसंचार उद्योग को नुकसान होगा और नए ऑपरेटरों के लिए बाजार में आने का रास्ता बंद हो सकता है, वहीं मौजूदा ऑपरेटरों के लिए भी यह परेशानी की बात है।' उन्होंने कहा कि इतनी अधिक कीमत चुकाने पर ऑपरेटरों के लिए एक पैसे प्रति सेकंड की योजना जारी रखना संभव नहीं होगा।

 

ट्राई ने अपनी सिफारिश में कहा है कि ऑपरेटर अपने मौजूदा 1800 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को तय शुल्क देकर उदार स्पेक्ट्रम (किसी भी तरह की सेवा के लिए उपयुक्त) का विकल्प अपना सकता है। नीलामी में सीएमटीएस/यूएएस, यूनिफाइड लाइसेंस या लाइसेंस की योग्य कंपनी हिस्सा ले सकती हैं। यानी नीलामी प्रक्रिया सभी के लिए खुली होगी। हालांकि ट्राई की सिफारिशें मानने के लिए सरकार बाध्य नहीं है और इस बारे में अंतिम निर्णय दूरसंचार विभाग को लेना है।

 

सिफारिश में कहा गया है कि स्पेक्ट्रम इस्तेमाल का शुल्क समायोजित सकल आय का 1 फीसदी होगा। ट्राई ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि स्पेक्ट्रम को गिरवी रखने की भी अनुमति दी जा सकती है। हालांकि इसके लिए स्पेक्ट्रम धारकों को उधारी के लिए भारतीय वित्तीय संस्थान में पंजीकरण करना होगा। गिरवी में यह शर्त भी होगी कि अगर स्पेक्ट्रम धारक देनदारी में चूक करता है तो वित्तीय संस्थान दूरसंचार विभाग की निगरानी में उस स्पेक्ट्रम की नीलामी कर सकता है।

First Published: Tuesday, April 24, 2012, 11:22

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