मौजूदा स्थिति वर्ष 1991 के संकट जैसी नहीं: कौशिक बसु

मौजूदा स्थिति वर्ष 1991 के संकट जैसी नहीं: कौशिक बसु

नई दिल्ली : विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री एवं वित्त मंत्रालय के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने आज इन आशंकाओं को पूरी तरह खारिज किया कि देश 1991 जैसी वित्तीय संकट की स्थिति में फंस गया है। उनकी राय में मौजूदा हालात की तुलना उस दौर से नहीं की जा सकती है।

कौशिक बसु ने आज यहां उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा 16वें जेआरडी टाटा स्मारक व्याख्यान में मुख्य वक्ता के तौर पर कहा, ऐसे सवाल उठाये जा रहे हैं कि क्या हम 1991 की स्थिति में पहुंच गये हैं। इस मामले में मेरा जवाब है। ऐसे सावालों का कोई तुक नहीं है। यदि आप एक दो आंकड़ों पर ही गौर करें तो आप कहेंगे कि दोनों स्थितियों के बीच कोई तुलना है ही नहीं। बसु ने कहा कि 1991 के भुगतान संकट के समय देश में मात्र 3 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बचा था जबकि आज देश में 280 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार है। जहां तक आर्थिक वृद्धि की बात है, 1991 में आर्थिक वृद्धि की दर एक प्रतिशत पर थी जबकि इस समय यह 5 से 6 प्रतिशत के दायरे में है। थोक मुद्रास्फीति 5.8 प्रतिशत पर है जबकि इससे पहले देश 1972 में 30 प्रतिशत तक की मुद्रास्फीति देख चुका है।

बसु ने कहा, स्थिति ठीक नहीं है यह लेकिन यह उस संकट के आसपास नहीं है जिसे हम पहले देख चुके हैं। बसु ने कहा, यह सही है कि हम कठिन दौर से गुजर रहे हैं लेकिन इस परेशानियों को कुछ ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। हाल के दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपया तेजी से गिरा है। यह 62 रुपये प्रति डॉलर से भी नीचे गिर चुका है। लगातार चार महीने गिरने के बाद जुलाई में थोक मुद्रास्फीति करीब एक प्रतिशत अंक बढ़कर 5.79 प्रतिशत हो गई।

कौशिक बसु ने कहा भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुडा देश है। जब पूरी दुनिया में उठापटक चल रही है तब भारत इससे अछूता नहीं रह सकता। वैश्विक स्थिति भी गंभीर बनी हुई है। बसु ने स्थिति से निपटने के लिये अपनी तरफ से कुछ सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि इसके त्वरित और दीर्घकालिक निदान हो सकते हैं। तात्कालिक उपायों के तौर पर हमें बाजार में हस्तक्षेप करना होगा लेकिन इसमें तकनीकी तौर तरीके अपनाने होंगे।

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार के अनुसार बाजार एक शक्तिशाली प्रवाह है, इसका रख बदलना आसान नहीं है। बाजार के नियम एक तरह से प्रकृति के नियम की तरह हैं। स्थिति में बदलाव लाने के लिये दीर्घकालिक उपायों के तौर पर उन्होंने देश में विश्वास का माहौल बनाने, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने, व्यापार और कारोबार में विश्वास बढ़ाने जैसे कदम उठाने का सुझाव दिया। (एजेंसी)

First Published: Monday, August 19, 2013, 18:13

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