Last Updated: Thursday, October 4, 2012, 19:56

पुडुचेरी : रिजर्व बैंक ने कहा है कि मौद्रिक नीति समीक्षा में मुद्रास्फीति को नीचे लाने पर उसका जोर रहेगा और यह उसके लिए अहम् मुद्दा बना रहेगा। रिजर्व बैंक आगामी 30 अक्तूबर को मौद्रिक एवं ऋण नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा जारी करेगा।
रिजर्व बैंक गवर्नर डी. सुब्बाराव ने यहां संवाददाताओं से कहा कि हमें यह देखना चाहिए कि मुद्रास्फीति करीब 10 प्रतिशत पर थी। यह दहाई अंक से घटकर 7.5 प्रतिशत पर पहुंची है। हमें मानना होगा कि मुद्रास्फीति में कमी आई है। हमें इसे और कम करने की जरूरत है। 30 अक्टूहबर को जब हम नीति की समीक्षा करेंगे, हम इस बात का ध्यान रखेंगे।
रिजर्व बैंक निदेशक मंडल की बैठक के बाद सुब्बाराव ने संवाददाताओं से कहा कि केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति की समीक्षा करते समय मुद्रास्फीति के साथ साथ बाह्य क्षेत्र और राजकोषीय परिदृश्य का भी आकलन करेगा। प्रयास यही रहेगा कि मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाया जाये और जहां तक संभव हो आर्थिक वृद्धि का समर्थन किया जाए।
रिजर्व बैंक ने पिछले महीने मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की उद्योग जगत की जबर्दस्त मांग के बावजूद प्रमुख नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखा। आर्थिक वृद्धि दर के संबंध में सुब्बाराव ने कहा कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2012-13 के लिए 6.5 फीसद वृद्धि दर का अनुमान लगाया है। सुब्बाराव ने खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति पर कहा कि इसके कई फायदे हैं और इससे कीमतें कम होंगी। उन्होंने कहा कि इस सबसे दाम नीचे लाने में मदद मिलेगी। खुदरा क्षेत्र में एफडीआई से जितनी कीमतें नीचे आयेंगी, उतना ही रिजर्व बैंक बेहतर महसूस करेगा। (एजेंसी)
First Published: Thursday, October 4, 2012, 19:56