Last Updated: Wednesday, December 19, 2012, 15:05
संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र ने आगामी दो साल के लिए वैश्विक आर्थिक वृद्धि के अनुमान में कमी की है। साथ ही इसने अमेरिका की राजकोषीय स्थिति और यूरोपीय ऋण संकट के मद्देनजर नई वैश्विक मंदी के प्रति चेतावनी दी है। इसमें यह भी कहा गया कि मुद्रास्फीतिक दबाव और बड़े राजकोषीय घाटे से भारत में नीतिगत प्रोत्साहन देने की संभावना सीमित होगी।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा कल जारी ‘वैश्विक आर्थिक स्थिति और संभावना 2013’ रपट में कहा गया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2012 के दौरान उल्लेखनीय नरमी आई है और उम्मीद है कि 2013 और 2014 में इसमें नरमी बरकरार रहेगी। वैश्विक अर्थव्यवस्था के 2013 में 2.4 फीसदी और 2014 में 3.2 फीसदी की दर से वृद्धि दर्ज करने का अनुमान है जो छह महीने पहले जारी अनुमान से कम है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र ने 2013 के लिए 2.7 फीसदी और 2014 के लिए 3.9 फीसदी की वृद्धि का अनुमान जाहिर किया था।
एशिया की वृद्धि और चीन व भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावना भी कमजोर हुई है। रपट में कहा गया कि भारत जिसकी वृद्धि दर 6.9 फीसदी थी वह 2012 के दौरान घटकर 5.5 फीसदी हो जाएगी। भारत की आर्थिक वृद्धि 2013 में बढ़ेगी और इस अवधि में 6.1 फीसदी जबकि 2014 में 6.5 फीसदी वृद्धि दर्ज होगी।
रपट में कहा गया, ‘चीन और भारत दोनों के सामने ढांचागत चुनौतियां हैं जिससे वृद्धि प्रभावित हो रही है। मुद्रास्फीति दबाव बरकरार रहने और बड़े राजकोषीय घाटे के मद्देनजर भारत और दक्षिण एशिया के अन्य देशों में नीतिगत प्रोत्साहन देने की सीमित संभावना है।’’ रपट के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के मद्देनजर 2013 में दक्षिण एशिया की वृद्धि दर औसतन पांच फीसदी रहेगी जो 2012 में दर्ज 4.4 फीसदी की वृद्धि दर से अधिक होगी।
First Published: Wednesday, December 19, 2012, 15:05