Last Updated: Wednesday, November 2, 2011, 17:52

नई दिल्ली : यूरो क्षेत्र के वित्तीय संकट से निपटने में भारत भी मदद कर सकता है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बुद्धवार को इसका संकेत दिया।
मुखर्जी ने संवाददाताओं के पूछने पर कहा, स्थिति के बारे में हमारा कहना है कि उन्हें ऋण संकट का उचित आकलन करने दीजिए, समस्या के निदान के लिए प्रयास करें और फिर उसके बाद अनुपूरक वित्तीय मदद पर विचार हो सकता है। फिलहाल देखते हैं कि प्रमुख देशों के नेता क्या तय करते हैं।
वित्त मंत्री उनसे यूनान सरकार के ताजा निर्णय के बारे में पूछे गए सवाल का उत्तर दे रहे थे। यूनान सरकार ने यूरो क्षेत्र के ऋण संकट के हल के लिए तैयार राहत पैकेज पर जनमत संग्रह कराने का फैसला कर वित्तीय बाजारों में फिर से उठापटक शुरु कर दी।
मुखर्जी ने कहा कि पेरिस में जी-20 वित्त मंत्रियों की बैठक में भी भारत का यही मानना था कि यूरोप के ऋण संकट का समाधान यूरोपीय राष्ट्रों को स्वंय तलाशना होगा। फिलहाल हमारी नजर फ्रांस के कॉन में मंगलवार से शुरु होने वाली जी-20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन पर है। देखते हैं इसमें नेता क्या तय करते हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समूह-20 देशों की इस बैठक में भाग लेने के लिए फ्रांस रवाना हो गए हैं। दो दिवसीय इस बैठक में दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के नेता यूरो संकट से निपटने के लिए मजबूत और समन्वित प्रयास का संकेत देने का प्रयास करेंगे, ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाया जा सके।
यूनान, पुर्तगाल और स्पेन सहित यूरोप के कई देशों में वित्तीय समस्या गहरा रही है। सरकारें ऋण संकट में फंसी है इस स्थिति का विशेषकर पूरे यूरोपीय क्षेत्र पर गहरा असर पड़ने की आशंका है।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 2, 2011, 23:23