Last Updated: Tuesday, January 22, 2013, 20:19

हांगकांग : राजकोषीय मजबूती की भारत की प्रतिबद्धता दोहराते हुए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.3 प्रतिशत रहेगा और अगले वित्त वर्ष (2013-14) में इसे और कम कर 4.8 प्रतिशत तक लाया जाएगा।
वित्त मंत्री ने मंगलवार को यहां कहा,‘पहला कदम राजकोषीय मजबूती है, भारत इसके लिए प्रतिबद्ध है। इस वित्त वर्ष के अंत तक हम राजकोषीय घाटे को 5.3 प्रतिशत पर रखने में सफल होंगे और अगले वित्त वर्ष में यह 4.8 फीसद से अधिक नहीं होगा।’
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का इरादा अगले पांच साल के दौरान हर साल राजकोषीय घाटे में 0.6 प्रतिशत की कमी लाने का है।
सब्सिडी पर बढ़ते खर्च की वजह से सरकार के वित्त पर दबाव बढ़ा है। इसके चलते सरकार को चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को 5.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.3 फीसद करना पड़ा। ‘अन्यथा किसी भी स्थिति में मैं 5.3 प्रतिशत राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिये सहमत नहीं होता।’
चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने हाल के महीनों में वित्त में सुधार के लिए जो कदम उठाए हैं उनसे रेटिंग में कमी के जोखिम से बचने में मदद मिलेगी। रेटिंग एजेंसियों स्टैंडर्ड एंड पूअर्स तथा फिच ने भारत की रेटिंग घटाने की चेतावनी दी है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमने जो कदम उठाए हैं उनके जरिए हमने सभी को आश्वस्त किया है कि रेटिंग में कमी नहीं होगी। उन्हें हमारे फैसलों पर टिके रहने की क्षमता पर चिंता थी। अब वे खुश हैं कि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोलने के बाद हम इस पर टिके हुए हैं।’
चिदंबरम ने कहा कि उन्हें इस बात की भी चिंता थी कि हम ईंधन कीमतों को नहीं सुधारेंगे। ‘मुझे लगता है कि हमने जो भी कदम उठाए हैं उनसे भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा बढ़ा है।’
सरकार ने सब्सिडी के बोझ को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। डीजल कीमतों को आंशिक रूप से नियंत्रणमुक्त किया गया है, वहीं प्रति परिवार सालाना सस्ते रसोई गैस सिलेंडरों की सीमा 9 तय कर दी है। वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार राजकोषीय मजबूती की रूपरेखा के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 तक राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत पर लाया जाएगा।
चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 5.3 फीसद पर रखने का लक्ष्य हासिल होना इस बात पर भी निर्भर करता है कि विनिवेश, स्पेक्ट्रम बिक्री तथा कर संग्रहण से कितनी राशि हासिल होती है। सरकार अभी तक वित्त वर्ष में विनिवेश से 6,900 करोड़ रुपए ही जुटा पाई है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 22, 2013, 20:19