Last Updated: Friday, December 30, 2011, 15:25
नई दिल्ली : सरकार का राजकोषीय घाटा 2011-12 के पहले आठ महीने में 3.53 लाख करोड़ रुपये रहा जो बजटीय अनुमान का 85 प्रतिशत है। इसे देश की बिगड़ती वित्तीय हालात का संकेत माना जा रहा है। लेखा महानियंत्रक के आंकडों के अनुसार गैर-कर राजस्व वृद्धि कम रहने के कारण सरकार का राजकोषीय घाटा नवंबर अंत तक बढ़कर 3.53 लाख करोड़ रुपये या बजटीय अनुमान का 85.6 प्रतिशत हो गया।
गत वर्ष की समान अवधि में सरकार का राजकोषीय घाटा अनुमान का 48.6 प्रतिशत रहा था। केंद्र के कुल परिव्यय तथा प्राप्तियों में अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। सरकार ने वित्त वर्ष 2011-12 में राजकोषीय घाटा 4.12 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लागया है। लेकिन सब्सिडी में बढ़ोतरी तथा राजस्व वृद्धि में कमी के कारण राजकोषीय घाटा लक्ष्य से अधिक रहने की अनुमान है।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया के अनुसार सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.6 प्रतिशत तक सीमित नहीं रख पाएगी। राजकोषीय घाटे में इस वृद्धि का बड़ा कारण पिछले साल की तुलना में गैर-कर राजस्व कम रहना है। पिछले साल की समान अवधि में ही सरकार ने 3जी व बीडल्यूए स्पेक्ट्रम की नीलामी से 1.08 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाई थी। आलोच्य आठ महीने में राजस्व प्राप्तियां 3.92 लाख करोड़ रुपये से अधिक रही जबकि बजट में समूचे वित्तवर्ष में यह राशि 7.89 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है।
(एजेंसी)
First Published: Friday, December 30, 2011, 20:55