Last Updated: Thursday, March 15, 2012, 10:50
नई दिल्ली : संसद में आज प्रस्तुत 2011-12 की आर्थिक समीक्षा में उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था गति पकड़ेगी और मंहगाई का दबाव कम होने से निकट भविष्य में कर्ज सस्ता होगा। पर समीक्षा में सरकार के खजाने के हालत पर चिंता जाहिर करते हुये कहा गया है कि कच्चे तेल के दाम में उछाल के जोखिम को ध्यान में रख कर राजकोषीय संतुलन के ठोस कदम उठाए जाने चाहिये।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा पेश आर्थिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है जो पिछले वित्त वर्ष की 8.4 प्रतिशत की वृद्धि से कम है। पर इसमें उम्मीद जताई गई है कि आगामी अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्त वाषिर्क में आर्थिक गतिविधियों में सुधार होगा। समीक्षा के अनुसार 2012-13 तथा 2013-14 में आर्थिक वृद्धि दर क्रमश: 7.6 प्रतिशत तथा 8.6 प्रतिशत रहेगी। इसमें संकेत है कि राजकोषीय घाटे को सीमित रखने के चालू वित्त वर्ष के लक्ष्य हासिल नहीं होंगे।
हालांकि, समीक्षा में कहा गया है कि इस मामले में राज्यों के अपने ट्रैक पर रहने की संभावना है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के उंचे दाम से बढता सब्सिडी बोझ और राजस्व वसूली अनुमान से कम रहने की वजह से केन्द्र सरकार का राजकोषीय घाटा बजट अनुमान की तुलना में उंचा रहने की आशंका जताई गई है। महंगाई के मामले में समीक्षा में कहा गया है कि इसपर निरंतर नजर रखे जाने की आवश्यकता है। अप्रत्याशित वैश्विक घटनाओं और कच्चे तेल के दाम में वृद्धि जैसे वैश्विक आघातों से निपटने के लिये शीघ्र उपाय किये जाने की आवश्यकता है।
भारत में प्रति व्यक्ति आय कम: समीक्षा भारत मजबूत आर्थिक वृद्धि दर के कारण विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है लेकिन देश की प्रतिव्यक्ति आय अभी भी कम है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा आज संसद में पेश 2011-12 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत उच्च वृद्धि दर के साथ चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है लेकिन इसकी प्रतिव्यक्ति आय अभी भी बहुत कम है। इसमें कहा गया है कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में विश्व में भारत का कद उंचा हुआ है पर प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच देश नीचे की पायदान पर है। समीक्षा में कहा गया है कि भारत की रैंकिंग सुधरी है लेकिन जी-20 देशों में इसकी स्थिति सबसे खराब है। आर्थिक समीक्षा के मुताबिक भारत की प्रति व्यक्ति आय 2011 में 1,527 डालर रही।
भारत की औसत वाषिर्क वृद्धि दर 1980 से 2010 के बीच 6.2 फीसद रही जबकि इसी दौरान विश्व अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 3.3 फीसद वाषिर्क रही। नतीजतन वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में की भारत हिस्सेदारी 1980 के 2.5 फीसद से बढ़कर 2010 में 5.5 फीसद हो गई। प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पादन में भी भारत की रैंकिंग सुधरी है जो 1990 में 117 थी। इस लिहाज से 2000 में भारत 101वें स्थान पर था और 2009 में 94वें स्थान आ गया। हालांकि चीन की रैंकिंग इसी अवधि में 127 से सुधर कर 74वें स्थान पर आ गया।
First Published: Thursday, March 15, 2012, 21:20