Last Updated: Wednesday, October 31, 2012, 16:03

नई दिल्ली : वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष के दौरान ज्यादा से ज्यादा राजस्व संग्रह कर राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.3 फीसदी दायरे में रखने का भरसक प्रयास करेगी।
वित्त मंत्री ने कल ‘आंतरिक एवं वाह्य ऋम के आर्थिक असर’ के मामले पर वित्त मंत्री से जुड़ी सलाहकार समिति को संबोधित करते हुए कहा, चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटा 5.3 फीसदी तक सीमित करने की कोशिश की जाएगी हालांकि केलकर समिति ने कहा है कि मौजूदा आर्थिक रुझान के मुताबिक यह 6.1 फीसदी रह सकता है। मंत्री के मुताबिक ‘5.3 का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है लेकिन हासिल किया जा सकता है।’ हालांकि, सरकार ने बजट में 2012-13 के दौरान राजकोषीय घाटा पिछले साल के 5.8 फीसदी के स्तर से घटाकर 5.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है लेकिन विभिन्न वैश्विक और घरेलू वजहों से इसमें बढ़ोतरी की आशंका है।
चिदंबरम ने कहा कि राजस्व संग्रह बढ़ाने और व्यय को नियंत्रित करने का लक्ष्य प्राप्त करने की रणनीति अपनाई जाएगी। साथ ही देश की आर्थिक और वित्तीय समस्याओं से निपटने के लिए राजनीतिक दलों से समर्थन भी मांगा जाएगा।
उन्होंने कहा, कोई भी देश अपने साधन के बगैर अपना अस्तित्व कायम नहीं रख सकता इसलिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि देश का रिण वहनीय और सीमा में रहे। उन्होंने कहा कि जिन देशों ने जरूरत से ज्यादा रिण ले लिया है उन्हें आर्थिक और वित्तीय समस्या का सामना करना पड़ रहा है। मंत्री ने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी संस्थागत निवेश बढ़ाकर चालू खाता का घाटा कम करने के लिए गंभीर प्रयास किए जाएंगे।
चिदंबरम ने सरकार की वित्तीय घाटे और चालू खाता घाटे को कम करने की कोशिश में राजनीतिक दलों से समर्थन की अपील करते हुए कहा, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) विकल्प नहीं है बल्कि अनिवार्यता है। एफडीआई के अभाव में चालू खाते के घाटे से निपटने के लिए उधारी पर निर्भर करना होगा। समिति के सदस्यों ने सुझाव दिया कि सरकार को बढते घाटे की समस्या से निपटने के लिए रणनीति तैयार करते समय आम आदमी के हितों को ध्यान में रखना चाहिए।
कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया कि सरकार जरूरतमंद लोगों और गरीब किसानों को सब्सिडी देने की प्रक्रिया के आड़े आने वाली मुश्किलों को खत्म करने के लिए एक प्रणाली विकसित करे। कई सदस्यों ने उन केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा का आह्वान किया है जिनसे जरूरतमंदों को फायदा नहीं हुआ है। इस बैठक में शामिल सांसदों में नरहरि महतो, राजकुमारी रत्ना सिंह, एंटो एंथनी, एस पी वाय रेड्डी, नीरज शेखर, अरविंद कुमार चौधरी, प्रभातसिंह चौहान, राजीव चंद्रशेखर, अमर सिंह, राजकुमार धूत शामिल थे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 31, 2012, 16:03