रिजर्व बैंक का ध्यान सिर्फ मुद्रास्फीति पर नहीं: सुब्बाराव

रिजर्व बैंक का ध्यान सिर्फ मुद्रास्फीति पर नहीं: सुब्बाराव

नई दिल्ली : रिजर्व बैंक के गवर्नर के पद से सेवानिवृत होने से कुछ दिन पहले डी. सुब्बाराव ने आज इस अवधारणा को ‘गलत और अनुचित’ बताया कि केन्द्रीय बैंक पर केवल मुद्रास्फीति की धुन सवार थी और उसने आर्थिक वृद्धि की परवाह नहीं की।

रिजर्व बैंक और सरकार की भूमिका को लेकर चल रही बहस के बीच सुब्बाराव ने कहा कि इन मुद्दों को जरूरत से ज्यादा सरल तरीके से पेश करने के चक्कर में यह गलत व्याख्या की जा रही है कि सरकार आर्थिक वृद्धि पर जोर देती है जबकि केन्द्रीय बैंक मूल्य स्थिरता पर ध्यान देता है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार यह अवधारणा भी गलत है कि आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच किसी तरह का टकराव रहता है और नीति बनाते समय किसी को भी इनके बीच में किसी एक को चुनना होता है।

प्रधानमंत्री आवास पर रिजर्व बैंक के इतिहास पर चौथे खंड को जारी किये जाने के अवसर पर आयोजित एक समारोह में सुब्बाराव ने कहा, ऐसा दावा करना कि रिजर्व बैंक केवल मुद्रास्फीति की धुन में है और आर्थिक वृद्धि की उसे परवाह नहीं, मेरा मानना है कि ये दोनों ही बातें गलत और अनुचित हैं। सुब्बाराव की ये टिप्पणियां वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा हाल के सप्ताहों में कही गई उन बातों के बाद सामने आई हैं जिसमें उन्होंने (चिदंबरम ने) कहा कि रिजर्व बैंक को केवल मुद्रास्फीति पर ही ध्यान नहीं देना चाहिये बल्कि उसे वृद्धि और रोजगार सृजन के अपने व्यापक अधिकार क्षेत्र की तरफ भी ध्यान देना चाहिये।

सुब्बाराव रिजर्व बैंक गवर्नर के पद से आगामी 4 सितंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं। अपने संबोधन में उन्होंने आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन का जिक्र करते हुये कहा कि नीतिगत मामले में पहली बार और संभवत: सबसे महत्वपूर्ण बहस आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन साधने पर थी। (एजेंसी)

First Published: Saturday, August 17, 2013, 20:41

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