रिजर्व बैंक के उपायों को ब्‍याज दर में बदलाव के रूप में न देंखे: चिदंबरम

रिजर्व बैंक के उपायों को ब्‍याज दर में बदलाव के रूप में न देंखे: चिदंबरम

रिजर्व बैंक के उपायों को ब्‍याज दर में बदलाव के रूप में न देंखे: चिदंबरमजयपुर : वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने मंगलवार को कहा कि रुपये की विनिमय दर बाजार में तय होगी और रिजर्व बैंक ने कल रात जो कदम उठाए हैं उनका मौद्रिक नीति की आगामी समीक्षा से कोई लेना-देना नहीं है और संभत: इससे बैंकों की ब्याज दरों पर कोई असर नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि आरबीआई के इन उपायों का लक्ष्य विदेशी मुद्रा बाजार में अत्यधिक उठापटक और सट्टेबाजी पर लगाम लगाना है। चिदंबरम ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इन उपायों को मौद्रिक नीति में बदलाव का संकेत न माना जाए। इसका आरबीआई की मौद्रिक नीति की आगामी समीक्षा से संबंध नहीं है, मुझे नहीं लगता है कि बैंक कल की पहल के मद्देनजर ब्याज दर बढ़ाएंगे।

आरबीआई ने पिछली रात कई बैंकों के लिए फौरी नकद ऋण पर ब्याज दर दो प्रतिशत बढ़ाकर 10.25 प्रतिशत कर दी। केंद्रीय बैंक और खुले बाजार में 12,000 करोड़ रुपये के बांड की बिक्री की घोषणा की भी घोषणा की ताकि नकदी कम कर रपए की गिरावट पर लगाम लगाई जा सके। इस महीने डॉलर के मुकाबले 61.21 तक हल्क हो गया था जो इसका न्यूनतम स्तर है।

चिदंबरम ने कहा कि बहुत अधिक सट्टेबाजी पर लगाम लगाने, उतार-चढ़ाव कम करने और रुपये को स्थिर करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि रुपये का मूल्य इस पर निर्भर करेगा कि हम कितीन विदेशी मुद्रा कमा रहे है और कितना खर्च करते हैं। चिदंबरम ने एक सवाल के जवाब में कहा कि खादय सुरक्षा योजना को लागू करने में खादयान्न और धन की कोई कमी नहीं है, चालू वित्त वर्ष 2013-2014 के लिए 612.3 लाख टन खादयान्न की जरूरत पड़ेगी। इस पर करीब एक लाख चौबीस हजार सात सौ चौबीस करोड रूपये की लागत आयेगी उन्होंने कहा कि अगले वित्‍तीय वर्ष के लिए समुचित प्रबंध कर लिया जाएगा।

एलपीजी के सभी उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के तहत इस साल के अंत तक उनके बैंक खातों के माध्यम से सब्सिडी मिलने लगेगी। वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने मंगलवार को एलपीजी सब्सिडी पर मीडिया से बातचीत में कहा कि इस साल के अंत तक सब्सिडी वाली रकम बैंकों में पहुंचेंगे।

उन्होंने कहा कि खुले बाजार में गेह्रू और चावल की कमी नहीं है। चिदंबरम ने कहा कि संप्रग-एक और संप्रग-दो ने आर्थिक, सामाजिक क्षेत्र में महिलाओं किसानों, बच्चों, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े गरीब लोगों के लिए ऐतिहासिक फैसले किए हैं। किसानों की फसल का उचित मूल्य देने के लिए न्यूनतम खरीद दर बढ़ाई गई है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्तर तक घरों में रसोई गैस पहुंचे इसके लिए अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में नए बंदरगाहों, हवाई अडडों को मंजूरी दी गई है, कोच्चि और मुम्बई मेट्रो के तीसरे चरण को मंजूरी दी गई है। फ्रेट कोरिडोर पर समयबद्ध तरीके से काम तेजी से चल रहा है, डीबीटी प्रणाली का एक सौ इक्कीय जिलों में विस्तार किया जा चुका है, यह देश का कुल बीस प्रतिशत है ओैर इसके दायरे में करीब बीस करोड़ से अधिक लोगों को लाया जा चुका है।

चिदंबरम ने सोने के आयात पर पाबंदी लगाने की संभावना से इन्कार किया। पर उन्होने जनता से इसकी खपत कम करने की अपील जरूर की। वित्त मंत्री ने कहा कि सोने के आयात पर देश को सालाना 50 अरब डालर का खर्च करना पड़ रहा है। खाद्य सुरक्षा विधेयक का हवाला देते हुए चिदंबरम ने कहा कि यह पांच अगस्त से शुरू हो रहे मानसून सत्र के एजेंडे में यह पहला विषय रहेगा। उन्होंने कहा कि संसद का अधिवेशन शुरू होने के छह सप्ताह के अंदर अध्यादेश को पारित करवाना होगा।

उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा अध्यादेश संसद में जाएगा। संसद को सत्र शुरू होने के छह सप्ताह के भीत इसके लिए मंजूरी लेनी होगी। चिदंबरम ने भरोसा जताया कि सभी राजनीतिक दल संसद में खाद्य सुरक्षा विधेयक के पक्ष में मत देंगे। खाद्य विधेयक के संबंध में अध्यादेश लाने के फैसले को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा कि हम इसे कानून बनाने के लिए कितना इंतजार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए जब यह लगा कि प्रमुख विपक्षी दल एक सुर में नहीं बोल पा रही है और उस जिस तरह जवाब देना चाहिए उस तरह जबाव नहीं दे पा रही है तभी सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया।

उन्होंने कहा कि सरकार मानसून सत्र में रीयल एस्टेट क्षेत्र, खोमचे वालों और भूमि अधिग्रहण से जुड़े विधेयकों को पारित कराने की कोशिश करेगी। नकदी अंतरण (डीबीटी) के बारे में मंत्री ने कहा कि साल के अंत तक सभी रसोई गैस उपभोक्ताओं को सब्सिडी उनके बैंक खातों में मिलेगी। उन्होंने कहा कि रसोई गैस लगभग हर घर से जुड़ी है और इसे डीबीटी के तहत लाया जा रहा है। राजकोषीय घाटे के बारे में उन्होंने कहा कि इसे सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले 4.8 प्रतिशत तक सीमित रखने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि एक सीमारेखा है जिसे पार नहीं किया जाएगा। अगले दो साल में हम इसे तीन प्रतिशत से नीचे लाएंगे। तीन प्रतिशत से कम के राजकोषीय घाटे को संभाला जा सकता है। इस स्तर पर हमें डर और आशंका नहीं रहेगी। वित्त वर्ष 2012-13 में राजकोषीय घाटा 4.9 प्रतिशत रहा जो 5.1 प्रतिशत के बजट अनुमान से कम है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, July 16, 2013, 10:28

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