Last Updated: Monday, March 11, 2013, 22:14

नई दिल्ली : रक्षा मंत्रालय ने कई सप्ताह चले गतिरोध के बाद आखिर रिलायंस इंडस्ट्रीज को आवंटित डी-6 तेल एवं गैस ब्लॉक में गतिविधियों पर लगाई रोक हटा ली जबकि ओएनजीसी को आवंटित केजी बेसिन ब्लॉक में फिलहाल कोई छूट नहीं दी गई।
मंत्रालय ने गतिरोध समाप्त करते हुये रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी-डी6 ब्लॉक तथा गैस खोज क्षेत्र एनईसी-25 समेत अन्य ज्यादातर क्षेत्रों में गैस एवं तेल उत्खनन की मंजूरी दे दी। मंत्रालय ने इन क्षेत्रों में तेल एवं गैस उत्खनन पर रोक लगा दी थी या कड़ी शर्त लगा रखी थी। हालांकि ओएनजीसी को आवंटित केजी-ओएसएन-2005-1 और 2005-2 तथा बीजी समूह के केजी-डीडब्ल्यूएन-2009-1 वर्जित क्षेत्र बने रहेंगे, क्योंकि ये क्षेत्र सीधे प्रस्तावित नौसेना अड्डे के दायरे में आ रहे हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के कृष्णा गोदावरी बेसिन केजी-डी6 ब्लाक तथा पूर्वोत्तर तटवर्ती क्षेत्र :एनईसी: में एनईसी-25 समेत 8 ब्लाक को वर्जित क्षेत्र घोषित कर दिया था। प्रस्तावित नौसेना बेस या मिसाइल रेंज अथवा वायुसेना के अ5यास क्षेत्र में पड़ने के कारण इन्हें वर्जित क्षेत्र घोषित किया गया। अन्य 32 उत्खनन क्षेत्रों में कड़ी शतेर्ं रखी गयी थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन तथा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पुलक चटर्जी द्वारा 27 फरवरी को की गयी बैठक में रिलायंस इंडस्ट्रीज के सभी ब्लॉक को उत्खनन एवं उत्पादन के मंजूरी दे दी गयी। साथ ही जिन 32 अन्य ब्लॉक के मामले में कड़ी शतेर्ं रखी गई थी, उसमें ढिलाई दी गयी। सूत्रों ने बताया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के 7,654 वर्ग किलोमीट क्षेत्र में केजी-डी6 को तेल एवं गैस उत्खनन गतिविधियों के लिये पूरी तरह मंजूरी दे दी गयी। इसमें रक्षा जरूरतों के लिये 495 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कमी की गयी। इसी प्रकार, एनईसी-ओएसएन-97:2 को भी पूरी तरह मंजूरी दे दी गयी।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी-ओएसएन-2001:1 को भी मंजूरी दे दी गयी लेकिन इस ब्लाक को कंपनी ने छोड़ दिया है। सूत्रों के अनुसार बहरहाल, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के केजी बेसिन ब्लाक केजी-ओएसएन-2005:1 तथा केजी-ओएसएन-2005:2 तथा बीजी समूह के केजी-डीडब्ल्यूएन-2009:1 वर्जित क्षेत्र बना रहेगा क्योंकि ये क्षेत्र प्रस्तावित नौसेना बेस की सीमा के भीतर आते हैं।
केयर्न इंडिया के केजी-ओएसएन-2009:3 तथा ओएनजीसी के केजी-ओएसएन-2009:4 के मामले में डीआरडीओ ने कुछ शर्तों के साथ इसे मंजूरी देने की इच्छा जतायी है पर वायुसेना के साथ मुद्दों का अभी समाधान होना है। ये क्षेत्र वायुसेना के सूर्यलंका गाइडेड वीपन फायरिंग रेंज (जीडब्ल्यूएफआर) के दायरे में आते हैं।
सूत्रों के अनुसार क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन मिलने की संभावना को देखते हुए यह सहमति बनी है कि रक्षा मंत्रालय वायुसेना के साथ मामले में फिर से गौर करेगा। सूत्रों ने कहा कि जिन 32 ब्लाक के मामले में कड़ी शर्त रखी गयी थी, उनमें से 15 को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दे दी गयी है। इसमें डीआरडीओ की मंजूरी की जरूरत थी। 17 ब्लाक के मामले में नौसेना ने बिना किसी शर्त के मंजूरी दे दी है। पूर्व में नौसेना ने सशर्त मंजूरी दी थी। पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय मंत्रिमंडल की निवेश समिति के विचार के लिये इस बारे में दो सप्ताह के भीतर नोट तैयार करेगा। (एजेंसी)
First Published: Monday, March 11, 2013, 22:14