Last Updated: Sunday, January 20, 2013, 15:54

वाशिंगटन : भारतीय बाजार में पहुंच हासिल करने के लिए अमेरिकी कंपनियों द्वारा लाबिंग किए जाने को लेकर मचे बवाल के बीच भारत की निजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भी अमेरिकी नीति निर्माताओं के बीच लॉबिंग गतिविधियां फिलहाल रोक दी हैं। कंपनी ने बीते चार साल में इन गतिविधियों पर दस करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए हैं।
मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपनी कारोबारी गतिविधियां तथा अन्य उद्देश्यों के लिए अमेरिकी सांसदों में लॉबिंग का काम जनवरी 2009 में शुरू किया था। कंपनी के लिए यह काम लाबिस्ट फर्म बारबॉर ग्रिफिथ एंड रोजर्स (बीजीआर) कर रही थी।
हालांकि, कंपनी ने बीती पांच तिमाहियों से लॉबिंग गतिविधियां रोक दी थीं और अब उसने अमेरिका में इस आशय का अपना पंजीकरण भी रद्द कर दिया है।
भारत में कंपनी का कारोबार ऊर्जा से लेकर पालिएस्टर, खुदरा तथा दूरसंचार सहित कई क्षेत्रों में फैला है। कंपनी ने हाल ही के वर्षों में अमेरिका सहित वैश्विक बाजारों में अपनी पहुंच बढ़ाने का प्रयास किया है। जनवरी 2009 से लेकर वह अपनी अमेरिकी लाबिस्ट फर्म को 18.8 लाख डॉलर यानी दस करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान कर चुकी है।
बीजीआर के जरिए अमेरिकी संसद में 18 जनवरी की तारीख वाली रपट के अनुसार उसने अमेरिका में अपना लॉबिंग पंजीकरण 11 जनवरी को रद्द कर दिया। इसके साथ ही रपट में कहा है कि कंपनी ने 31 दिसंबर 2012 को समाप्त तिमाही में लॉबिंग से जुड़ी कोई गतिविधि नहीं की। बीजीआर ने लगातार पांचवी तिमाही अपने ग्राहक आरआईएल के लिए लाबिंग का कोई काम नहीं किया। (एजेंसी)
First Published: Sunday, January 20, 2013, 15:54