Last Updated: Friday, May 4, 2012, 18:56

नई दिल्ली : सरकार ने केजी बेसिन से गैस उत्पादन तय लक्ष्य से कम रहने पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड पर एक अरब डालर (5500 करोड़) से अधिक का जुर्माना लगाया है। सरकार ने कहा है कि गैस उत्पादन तय लक्ष्य के अनुसार नहीं होने की वजह से कंपनी इतनी राशि की वसूली नहीं कर सकती है।
उधर, उद्योगपति मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने कृष्णा गोदावरी बेसिन के डी.6 से गैस उत्पादन घटने के मामले में सरकार पर शुक्रवार को पलटवार किया। कंपनी ने कहा है कि क्षेत्र के लिए हुए समझौते में निवेश राशि की वसूली रोकने का कोई प्रावधान नहीं है।
सरकार के 2 मई के नोटिस के जवाब में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा है कि गैस ब्लाक के लिए सरकार के साथ हुई उत्पादन भागीदारी अनुबंध में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है जिससे कि सरकार को क्षेत्र में खर्च की लागत की वसूली से रोकने का अधिकार मिलता है।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने 2 मई को रिलायंस को पत्र भेजकर उसे केजी बेसिन के डी6 ब्लॉक में धीरूभाई एक और तीन में निवेश किए गए 5.756 अरब डालर के कुल निवेश में से 1,005 अरब डालर निवेश की वसूली पर रोक लगा दी। सरकार का कहना है कि इस क्षेत्र से होने वाला मौजूदा गैस उत्पादन वर्ष के लिये तय लक्ष्य आठ करोड घनमीटर प्रतिदिन से काफी कम है। वर्तमान में क्षेत्र से दैनिक दो करोड 75 लाख घनमीटर गैस का उत्पादन हो रहा है।
रिलायंस ने इससे पहले ही 23 नवंबर को सरकार को पंचनिर्णय के लिये नोटिस भेज दिया था। कंपनी का मानना है कि कम उत्पादन अथवा निर्मित सुविधाओं का पूरा इस्तेमाल नहीं होने की स्थिति में लागत की वसूली से इनकार करने की स्थिति में समझौते की शर्तों के तहत कंपनी ने सरकार को नोटिस भेजा है। कंपनी का कहना है कि इस तरह का कोई भी प्रयास समझौते की शतोर्ं का उल्लंघन होगा। जारी सरकार ने कंपनी से पंचनिर्णय का नोटिस मिलने के बावजूद कोई मध्यस्थ नियुक्त नहीं किया इसलिये रिलायंस ने मध्यस्थता अधिनियम की धारा 11 के तहत मध्यस्थ की नियुक्ति के लिये उच्चतम न्यायालय में भी याचिका दायर कर दी।
इधर, सरकार का कहना है कि रिलायंस का पांच माह पुराना नोटिस वैध नहीं है, क्योंकि जब उसने नोटिस भेजा था उस समय सरकार की तरफ से कोई विवाद नहीं था। कंपनी ने केवल आशंकाओं और मीडिया रिपोर्ट के आधार पर नोटिस जारी किया। यदि रिलायंस को सरकार के रिकवरी रोकने के कदम पर एतराज है तो उसे अब नया नोटिस भेजना होगा। सरकार की तरफ से पेट्रोलियम मंत्रालय में संयुक्त सचिव गिरिधर अरामाने के हस्ताक्षर वाला सात पृष्ठ का नोटिस कंपनी को भेजा गया। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2010-11 में 45.70 करोड डालर और 2011.12 में 1.005 अरब डालर के निवेश की वसूली की अनुमति नहीं दी जाती है।
First Published: Saturday, May 5, 2012, 00:26