Last Updated: Friday, August 17, 2012, 18:29

नई दिल्ली : रिलायंस पावर को बोली प्रक्रिया के बाद दी गई रियायत की तीखी आलोचना करते हुए सरकारी लेखापरीक्षक कैग ने कहा है कि सासन बिजली संयंत्र के लिए आवंटित कोयला खान के अतिरिक्त कोयले का इस्तेमाल समूह की ही दूसरी परियोजनाओं में करने की अनुमति देने से अनिल अंबानी समूह की रिलायंस पावर को 29,033 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ हुआ।
कैग की संसद में आज पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि रिलायंस पावर लिमिटेड को 4,000 मेगावाट के सासन अल्ट्रा मेगा बिजली संयंत्र का ठेका दिये जाने के बाद सरकार ने कंपनी को परियोजना से जुड़ी तीन खानों के अतिरिक्त कोयले का इस्तेमाल समूह की मध्यप्रदेश स्थित चितरंगी परियोजना के लिये करने की अनुमति दे दी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे कम शुल्क वाली बोली के आधार पर कंपनी को ठेका देने के बाद उसी कंपनी की दूसरी परियेाजनाओं में अतिरिक्त कोयले के इस्तेमाल की अनुमति से पूरी बोली प्रक्रिया दूषित हुई है। यह बोली पश्चात दी गई रियायत की तरह है जिसका व्यापक वित्तीय प्रभाव होता है। कैग ने कहा है कि रिलायंस पॉवर की सासन बिजली परियोजनाओं को आवंटित तीन कोयला खानों (मोहेर), मोहेर अमलोहरी और छत्रसाल ब्लॉक के अतिरिक्त कोयले का इस्तेमाल करने की अनुमति से न केवल बोली प्रक्रिया दूषित हुई है बल्कि इसके परिणामस्वरुप रिलायंस पावर को अनुचित लाभ पहुंचा है।
सरकारी लेखा परीक्षक की इस रिपोर्ट के अनुसार, इस फैसले के परिणामस्वरुप परियोजना डेवलपर (रिलायंस पॉवर) को 11,852 करोड़ रुपये की शुद्ध मौजूदा कीमत सहित 29,033 करोड़ रुपये का वित्तीय लाभ हुआ है। (एजेंसी)
First Published: Friday, August 17, 2012, 18:29