Last Updated: Saturday, June 2, 2012, 02:15
मुंबई : रिजर्व बैंक के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि रुपए में गिरावट यदि बुनियादी कारकों की कमजोरी अथवा वैश्विक कारणों से आ रही है तो वह इसे नहीं रोक सकता। बैंक ऐसे हालात में विदेशी मुद्रा बाजार में केवल नपे-तुले कदम ही उठा सकता है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के सी चक्रवर्ती ने सरकारी बैंकों के एक सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा कि यदि रुपए में गिरावट अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारकों में कमजोरी या वैश्विक कारणों से आ रही है तो रिजर्व बैंक इसे नहीं रोक सकता।
उन्होंने कहा कि यदि रुपया मूलभूत स्थिति में कमजोरी के कारण गिर रहा है तो सरकार को व्यापार घाटे पर जरूर ध्यान देना चाहिए। चक्रवर्ती ने कहा कि यदि रुपया वास्तविक समस्याओं के कारण गिर रहा है तो ऐसे में वित्तीय क्षेत्र की पहलों से इसका समाधान नहीं होगा। अप्रैल से सभी प्रमुख मुद्रायें विशेष तौर पर अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपए का मूल्य गिर रहा है और कल 56.52 के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया। अब तक सालाना स्तर पर इसमें 24 फीसद की गिरावट आ चुकी है।
डालर की मांग रोकने और रुपए को समर्थन देने के लिए चक्रवर्ती ने तेल कंपनियों के लिए अलग व्यवस्था का भी संकेत दिया। उन्होंने कहा कि तेल कंपनियों के लिए एक अलग डालर खिड़की खोलने का विकल्प खुला है। आरबीआई ऐसा करेगा या नहीं मुझे नहीं पता क्योंकि ऐसा सार्वजनिक रूप से नहीं किया जाएगा।
अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपए में कमजोरी और घटते विदेशी मुद्रा-भंडार के बीच आरबीआई के हाथ बंधे होने के मद्देनजर तेल कंपनियों को अलग खिड़की खोलकर अलग से डालर बेचने की चर्चा हुई थी। तेल कंपनियां डालर की सबसे अधिक खपत करती हैं। इससे खुले बाजार में डालर की मांग का दबाव कम होगा। (एजेंसी)
First Published: Saturday, June 2, 2012, 02:15