Last Updated: Wednesday, June 27, 2012, 14:10
नई दिल्ली : भारत के साख परिदृश्य को कम करने के लिए वैश्विक रेटिंग एजेंसियों की आलोचना करते हुए कंपनी मामलों के मंत्री वीरप्पा मोइली ने आज कहा कि यहां कोई ‘आर्थिक सूनामी’ नहीं है और उन्हें अपने मूल्यांकन के मापदंडों को नए सिरे से तय करना चाहिए।
उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम में मोइली ने अलग से बातचीत में कहा, गत दो तिमाहियों में बेहतर प्रदर्शन नहीं रहने का मतलब यह नहीं है कि यहां कोई आर्थिक सूनामी आ गई है। देश में आर्थिक संकट नहीं है।
साख निर्धारित करने वाली एजेंसियों को अपने मापदंड नए सिरे से तैयार करने होंगे और देश की साख निर्धारित करते समय आर्थिक मापदंडों को ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा, एजेंसियां राजनीतिक मापदंड़ों को भी शामिल कर रही हैं जबकि उन्हें केवल आर्थिक मापदंड़ों तक अपने आप को सीमित रखना चाहिए।
मोइली का बयान ऐसे समय में आया है जबकि स्टैंडर्ड एंड पूअर्स और फिच ने भ्रष्टाचार और सुधार की कमी का हवाला देते हुए भारत के साख परिदृश्य को नकारात्मक कर दिया है। इससे पहले पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा था कि सरकार स्थिति पर नजर रखे हुए है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, June 27, 2012, 14:10