Last Updated: Wednesday, April 25, 2012, 09:20
नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) द्वारा भारत के भविष्य की रेटिंग घटाने के प्रति सरकार चिंतित है लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी एसएंडपी द्वारा भारत की साख रेटिंग के भविष्य में संशोधन पर टिप्पणी करते हुए मुखर्जी ने कहा, मैं चिंतित हूं, लेकिन मैं घबराहट महसूस नहीं कर रहा हूं क्योंकि मुझे विश्वास है कि हमारी आर्थिक विकास दर लगभग सात फीसदी रहेगी भले ही इससे अधिक न हो।
एसएंडपी ने बुधवार को भारत की भविष्य की रेटिंग स्थिर से घटाकर नकारात्मक कर दी साथ ही एजेंसी ने आर्थिक संकेतकों में गिरावट और कमजोर राजनीतिक हालात में वित्तीय सुधार की धीमी रफ्तार की वजह से साख रेटिंग में कटौती करने की भी चेतावनी दी।
मुखर्जी ने कहा कि भविष्य की रेटिंग इस सोच के आधार पर घटाई गई है कि भारत वित्तीय घाटे को अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.1 फीसदी के दायरे में नहीं रख पाएगा तथा आर्थिक विकास सात फीसदी की दर से नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार को भरोसा है कि आर्थिक विकास और वित्तीय घाटे का लक्ष्य हासिल हो जाएगा।
आर्थिक सुधार के बारे में उन्होंने कहा कि गति धीमी हो सकती है, लेकिन सरकार सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है।
मंत्री ने कहा, इसमें कोई शक नहीं है कि कानून के मोर्चे पर देरी हो रही है। महत्वपूर्ण कर सुधारों में से एक 'प्रत्यक्ष कर संहिता' को हम संसद के अगले सत्र में लागू कर पाएंगे। कुछ और विधेयकों को भी संसद की स्थायी समिति की मंजूरी मिल गई है और उन पर इस सत्र के आखिर में या मानसून सत्र में विचार किया जाएगा।
उन्होंने कहा, इसलिए आर्थिक सुधार की प्रक्रिया पटरी पर रहेगी और वित्तीय घाटे को लक्षित स्तर पर रखने के लिए जरूरी प्रशासनिक फैसले लिए जाएंगे तथा हमें उच्च आर्थिक विकास दर के लिए काम करते रहना चाहिए।
रेटिंग एजेंसी ने देश की लम्बी अवधि की रेटिंग को 'बीबीबी-' पर बरकरार रखा, जो निवेश श्रेणी की निम्नतम रेटिंग है।एसएंडपी के साख विश्लेषक ताकाहिरा ओगावा ने कहा कि भारत की साख रेटिंग घटाने की सम्भावना तीन में से एक है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 25, 2012, 17:01