Last Updated: Thursday, February 23, 2012, 13:58
नई दिल्ली : दवा कंपनी रैनबैक्सी लेबोरेटरीज ने गुरुवार को कहा कि 31 दिसंबर को समाप्त तिमाही के दौरान उसका एकीकृत शुद्ध घाटा बढ़कर 2,982.7 करोड़ रुपये पहुंच गया। अमेरिकी स्वास्थ्य नियामक के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर के एवज में किए गए प्रावधानों के कारण घाटा बढ़ा है। रैनबैक्सी ने एक बयान में कहा कि कंपनी को इससे पिछले साल की समान अवधि में 97.4 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था।
कंपनी ने दिसंबर में भारत में अपने कुछ कारखानों से दवा आयात पर प्रतिबंध हटाने के संबंध में अमेरिकी स्वास्थ्य नियामक के साथ समझौता किया। इस पहल के तहत रैनबैक्सी को दंड के तौर पर 50 करोड़ डालर का भुगतान करना पड़ सकता है। कंपनी ने कहा कि वह अमेरिकी न्याय विभाग की जांच के संबंध में 50 अरब डालर (2,640 करोड़ रुपए) का प्रावधान करना चाहती है।
कंपनी का मानना है कि सभी संभावित दीवानी या आपराधिक मामले से निपटने के लिए इतना काफी होगा। नतीजे के बारे में रैनबैक्सी के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक अरुण साहनी ने कहा कि मैं अमेरिकी नियामक के साथ लंबे समय चल रहे इस मामले के निपटने की दिशा में हो रही प्रगति से संतुष्ट हूं। अमेरिकी दवा नियामक यूएसएफडीए के साथ हुए समझौते और अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा लगाए जाने वाले संभावित दंड के लिए प्रावधान से हमारे अमेरिका कारोबार के बारे में ज्यादा पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा जो हमारे सबसे बड़े बाजारों में से एक है। कंपनी की कुल बिक्री 31 दिसंबर 2011 को समाप्त चौथी तिमाही के दौरान बढ़कर 3,738 करोड़ रुपए हो गई जो इससे पिछले साल की समान अवधि में 2,086.4 करोड़ रुपए थी।
साहनी ने कहा कि मैं आपके साथ यह साझा करते खुश हूं कि रैनबैक्सी भारतीय मूल की पहली कंपनी है जिसकी बिक्री दो अरब डालर का स्तर पार कर गई।’’ साल 2011 की पूरी अवधि में कंपनी को 2,899.7 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ जबकि 2010 में रैनबैक्सी को 1,496.7 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, February 23, 2012, 19:28