Last Updated: Tuesday, March 27, 2012, 07:52
नई दिल्ली : नार्वे की दूरसंचार कंपनी टेलिनार ने कहा है कि यदि उच्चतम न्यायालय के आदेश के परिणामस्वरुप भारत में उसके मोबाइल दूरसंचार सेवा के लाइसेंस छिनते हैं तो वह भारत सरकार से मुआवजे का दावा करेगी।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने 2जी घोटाला मामले में जारी अपने आदेश में 122 लाइसेंस निरस्त कर दिये थे। इसमें भारत में टेलिनार की संयुक्त उद्यम कंपनी यूनीनार के 22 लाइसेंस भी शामिल हैं।
ई.मेल के जरिये भेजे गये वक्तव्य में टेलिनार प्रवक्ता ग्लेन मैंडेलिड ने कहा ‘‘हमने अपनी मंशा से भारत सरकार को अवगत करा दिया है। यदि हमारे लाइसेंस छिनते हैं तो कंपनी भारत और सिंगापुर के बीच हुये व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते के प्रावधानों का इस्तेमाल करेगी।
नार्वे की इस कंपनी ने सिंगापुर में पंजीकृत अपनी कंपनी के जरिये भारत में संयुक्त उद्यम कंपनी में 67.25 प्रतिशत हिस्सेदारी ली है। कंपनी की इसी सिंगापुर इकाई ने भारत सरकार को नोटिस भेजकर मामले को अंतरराष्ट्रीय पंचायत में ले जाने की धमकी दी है।
टेलिनोर के प्रवक्ता ने हालांकि, मुआवजे की राशि के बारे में कोई संकेत नहीं दिया। उसने कहा ‘हम अपने पूरे निवेश, गारंटी और नुकसान सभी कुछ के लिये मुआवजे का इरादा रखते हैं। हमें उम्मीद है कि सरकार भी देश में वास्तविक विदेशी निवेश को प्रोत्साहित और उसकी सुरक्षा करने की मंशा रखती है।’
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने वर्ष 2008 में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा के समय जारी किये गये 122 दूरसंचार लाइसेंस निरस्त कर दिये थे। इसमें 22 लाइसेंस टेलिनार को दिये गये थे।
टेलिनार ने भारत में यूनीटेक के साथ बनाये गये संयुक्त उद्यम यूनीनार में 67.25 प्रतिशत हिस्सेदारी 1.2 अरब डालर में खरीदी थी। कंपनी ने लाइसेंस निरस्त करने के आदेश की समीक्षा के लिये उच्चतम न्यायालय में याचिका भी दायर की है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, March 27, 2012, 17:53