Last Updated: Monday, December 24, 2012, 17:00

नई दिल्ली : खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों को काबू में करने के सरकार और रिजर्व बैंक के लाख प्रयासों के बावजूद इस पूरे साल महंगाई ने आम लोगों को परेशान रखा। हालांकि नए साल में मुद्रास्फीति कुछ नरम पड़ सकती है।
पिछले साल 10 प्रतिशत से उपर पहुंचने वाली थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2012 के दौरान सात प्रतिशत से उपर बनी रही। रिजर्व बैंक की सख्त मौद्रिक नीति के प्रभाव से यह थोड़ी काबू में रही।
थोक मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में दहाई अंक के करीब पहुंच गई। इस दौरान यह 9.90 प्रतिशत रही। रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति में तेजी थामने के लिए मार्च, 2010 से अक्तूबर, 2011 के बीच नीतिगत दरों में 13 दफा बढ़ोतरी की थी।
इसके बाद मुद्रास्फीति में कुछ नरमी के संकेत मिलने के बाद रिजर्व बैंक ने अप्रैल, 2012 में नीतिगत दरों में कुछ कमी की। सरकार और उद्योग के भारी दबाव के बावजूद रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरें अपरिवर्तित बनाए रखी हैं।
30 अक्तूबर को अपनी दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा के कुछ घंटों बाद वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को कहना पड़ा, आर्थिक वृद्धि दर मुद्रास्फीति जितनी चुनौतीपूर्ण है। अगर सरकार को आर्थिक वृद्धि की चुनौतियों का सामना करने को अकेले चलना पड़ता है तो हम अकेले चलेंगे।
आर्थिक वृद्धि में गिरावट नीति निर्माताओं के लिए एक बड़ी चिंता बनी हुई है और वे निवेश को प्रोत्साहित करने और वृद्धि दर में तेजी लाने के लिए हर प्रयास कर रहे हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 5.4 प्रतिशत पर आ गई जो बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में 7.3 प्रतिशत थी। अनुमान है कि 2012.13 के दौरान यह करीब 5.7 से 5.9 प्रतिशत के बीच रहेगी।
रिजर्व बैंक ने हालांकि संकेत दिए हैं कि आगे मुद्रास्फीति में नरमी आने के आसार को देखते हुए वह जनवरी में तीसरी तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा में दरों में कटौती कर सकता है।
मुद्रास्फीति में कमी की मुख्य वजह विनिर्मित उत्पादों, प्राथमिक वस्तुओं और बिजली की कीमतों में गिरावट हो सकती है। हालांकि, कच्चे तेल, गैर-खाद्य वस्तुओं, मोटे अनाज, प्रोटीनयुक्त खाद्य, खाद्य तेल, पेय और तंबाकू उत्पादों की मुद्रास्फीति में तेजी आई है। (एजेंसी)
First Published: Monday, December 24, 2012, 17:00