Last Updated: Thursday, November 1, 2012, 20:26
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को सरकारी खर्च में और अनुशासन लाने का आह्वान किया और कहा कि भारत का वित्तीय घाटा `बहुत अधिक` है तथा यह घरेलू व विदेशी निवेश को बाधित कर रहा है। 28 अक्टूबर को कैबिनेट में फेरबदल के बाद यहां अपने सरकारी आवास पर 77 सदस्यीय मंत्रिपरिषद के साथ अपनी पहली बैठक में प्रधानमंत्री ने विश्व की ताजा आर्थिक तस्वीर पेश की, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है। उन्होंने साथ ही सरकार की कार्यसूची पर भी कुछ विचार साझा किए।
मनमोहन सिंह ने कहा कि कठिन वैश्विक आर्थिक स्थिति का असर हम पर भी हो रहा है। परिणामस्वरूप हमारी विकास दर में गिरावट आई है, निर्यात में कमी आई है तथा वित्तीय घाटा बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी खास चिंता वित्तीय घाटे को लेकर है, जो बहुत अधिक है और घरेलू व विदेशी निवेश को बाधित कर रहा है। ये मुद्दे समूची अर्थव्यवस्था और कई विभागों के कार्यों को प्रभावित कर रहे हैं, जिनके प्रतिनिधि यहां मौजूद हैं।
प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी से दो दिन पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने वित्तीय घाटा कम करने के लिए एक पंचवर्षीय योजना की घोषणा की थी। उन्होंने वित्तीय घाटा कम करते हुए इसे वित्त वर्ष 2016-17 तक तीन फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा, जो वित्त वर्ष 2011-12 में 5.8 फीसदी दर्ज किया गया। सरकार ने हालांकि बजट में वित्त वर्ष 2012-13 में वित्तीय घाटे को घटाकर 5.1 फीसदी तक लाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि विभिन्न वैश्विक तथा घरेलू कारणों से इसमें वृद्धि होगी।
वित्त मंत्री ने कहा है कि सरकार ज्यादा से ज्यादा राजस्व वसूली का प्रयास करेगी और खर्च में कटौती कर वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 5.3 फीसदी तक सीमित करने का प्रयास करेगी। प्रधानमंत्री ने ऊर्जा की मांग व आपूर्ति के बीच बढ़ते अंतर की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया और कहा कि यह स्थिति देश के विकास में एक बड़ी बाधा बन रही है। प्रधानमंत्री ने हालांकि साथ ही अपने सहयोगियों से कहा कि देश की वित्तीय स्थिति को लेकर निराश होने की जरूरत नहीं है।
आम चुनाव में मात्र 18 महीने शेष रह गए हैं, इसका ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा कि हम राजनीतिक कैलेंडर के विरुद्ध काम कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने हौसला अफजाई करते हुए कहा कि हमने अपने लिए जो लक्ष्य तय किए हैं, उन्हें पा सकते हैं। बस हमें साहस और आस्था के साथ कोशिश करनी है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, November 1, 2012, 20:26