Last Updated: Wednesday, February 20, 2013, 15:37

नई दिल्ली : आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख चंदा कोचर का मानना है कि भारत में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए जारी ऋण पत्रों को विदेशी बाजारों के निवेशकों की ओर से जबर्दस्त समर्थन मिल सकता है। उनकी राय में एक तो भारत में आर्थिक माहौल सुधर रहा है, दूसरे विदेशों में अभी ब्याज दरें काफी नीचे हैं।
कोचर ने साक्षात्कार में कहा कि हाल में स्थापित ढांचागत ऋण कोषों (आईडीएफ) से ढांचा गत परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण हेतु बैंकों पर पड़ने वाला दबाव भी कम होने की भी उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि ढांचागत क्षेत्र को गति देने के उद्येश्य से ऐसे कोष बनाने का फैसला किया गया है।
आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी कोचर ने कहा, ‘पिछले कुछ माह के दौरान आर्थिक सुधार के वातावरण और ऋण पत्र एवं शेयर बाजार दोनों में विदेशी संस्थाग निवेशकों की ओर से पूंजी निवेश में तेजी से हमें यह भरोसा है कि आईडीएफ विदेशी पूंजी को आकर्षित करने में सफल होंगे।’ कोचर एनबीएफसी मॉडल पर स्थापित देश के पहले बुनियादी ढांचा विकास कोष आईडीएफ इंडिया इंफ्राडेब्ट लिमिटेड के उद्घाटन समारोह के सिलसिल में यहां आयी हुई थीं।
इंफ्राडेब्ट को 300 करोड़ रुपये (करीब 5.5 करोड़ डालर) की पूंजी से शुरू किया गया है। देश के चार प्रमुख बैंक (वित्तीय संस्थान) इसके प्रवर्तकों में शामिल हैं। इसमें आईसीआईसीआई समूह की सर्वाधिक 31 फीसदी की हिस्सेदारी है। जबकि बैंक आफ बड़ौदा की 30 फीसदी, सिटी बैंक की 29 फीसदी और भारतीय जीवन बीमा निगम की 10 फीसदी हिस्सेदारी है। देश और देश के बाहर के निवेशकों को जोड़ कर कंपनी दो अरब डालर तक की परियोजनओं का वित्त पोषण शुरू करेगी। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 20, 2013, 15:37