Last Updated: Saturday, August 24, 2013, 20:08
मुंबई : वित्त मंत्री पी चिदंबरम की आज यहां बैंकों और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के साथ बैठकों के बाद वित्त मंत्रालय ने कहा है कि देश में विदेशी पूंजी का प्रवाह बढाने के लिए हफ्ता दस दिन में ही कुछ और पहल की जा सकती है। सरकार चालू खाते का घाटा (कैड) कम करने के लिए बाहर से और अधिक पूंजी आकर्षित करना चाहती है।
वित्तीय सेवा प्रभाग के सचिव राजीव टकरू ने मुंबई में बैंकों के प्रमुखों और विदेशी संस्थागत निवेशकों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकों साथ वित्त मंत्री की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, पूंजी का प्रवाह आकर्षित करने के लिए सभी प्रकार के उपायों पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि आप को जल्दी ही कुछ देखने को मिलेगा, आप कह सकते हैं कि हफ्ता दस दिन के अंदर ही। इन उपायों के तहत सरकारी बांड, प्रवासी बांड या अर्ध सरकारी विदेशी मुद्रा बांड जारी करने जैसा कौन सा कदम उठाया जा सकता है इस बारे में टकरू ने कोई जानकारी नहीं दी।
चालू खाते के घाटे के बढ़ने से निवेशकों को चिंता है और इस कारण पिछले दिनों शेयर बाजार में उठापटक शुरू हो गयी थी तथा रुपए की विनिमय दर में भारी गिरावट दर्ज की गयी। चिदंबरम ने पहले बैंकों के साथ बंद कमरे में बैठ की। बाद में वह विदेशी संस्थागत निवेशकों से मिले। सरकार मौजूदा आर्थिक स्थिति को लेकर निवेशकों की आशंका दूर करना चाहती है और यह भरोसा देना चाहती है और उन्हें बताना चाहती है कि वह आर्थिक वृद्धि को गति देने तथा रुपए की विनिमय दर में स्थिरता लाने के लिए क्या क्या कर रही है।
बैंकिंग सचिव टकरू ने कहा, विदेशी संस्थागत निवेशक चीजें समझना चाहते थे, वित्त मंत्री ने उन्हें समझा दिया। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से भारतीय कंपनियों और व्यक्त्यिों द्वारा पूंजी विदेश भेजने पर पिछले सप्ताह कुछ अंकुश लगाने के भारतीय रिजर्व बैंक के निर्णय के बाद कुछ हलकों में आशंका जताई जाने लगी कि देश पूंजी प्रवाह पर नियंत्रण की दिशा में बढ सकता है। केंद्रीय बैंक ने यह कदम रुपए को संभालने के लिए उठाया था। वित्त मंत्री ने गुरूवार को स्पष्ट किया था कि सरकार का पूंजी प्रवाह पर नियंत्रण लगाने का कोई इरादा नहीं है।
टकरू ने बताया कि बैंकों के साथ बैठक में मौजूदा स्थिति का समाना करने के लिए कई सुझाव आये। खास कर भारतीय स्टेट बैंक ने एनआरआई बांड के विचार का विरोध किया क्योंकि उसकी राय में विदेशी बाजारों में इसको लेकर कई कानूनी पचड़े पैदा होते है। यह बात अमेरिका के संबंध में खास कर कही गयी। चिदंबरम ने इन बैठकों के संबंध में संवाददाताओं से कई चर्चा नहीं की। जिस होटल में ये बैठकें की वहां बाहर संवाददाता खड़े थे।
विदेशी पूंजी आकर्षित करने के तात्कालिक उपायों में बैंकों को प्रवासी भारतीय और विदेशी मुद्रा प्रवासी-बी (एफसीएनआर-बी) जमा खातों पर ब्याज बढाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। इन जमाओं पर ब्याज 10 प्रतिशत तक पहले ही पहुंच चुका है। एक्सिस बैंक, आईडीबीआई बैंक, फेडरल बैंक और सरकारी क्षेत्र के कुछ बैंकों ने एनआरआई जमाओं पर हाल में ब्याज बढाई है।
यह पूछे जाने पर कि क्या बैंकों को एनआरई जमाओं पर ब्याज बढाने के लिए कोई दिशानिर्देश दिया गया है तो टकरू ने कहा, हम बैंकों को इस तरह के निर्णय के लिए न तो बाध्य करते हैं और न ही उकसाते हैं। इसका निर्णय उनके हाथ में हैं जो वे धन की स्थिति को देख कर करते हैं। उन्होंने कहा, अगले सप्ताह ही नौ अटकी परियोजनाओं पर मंत्रिमंडल में अंतिम निर्णय लिया जाना है। ये कोयला, बिजली और परिवहन क्षेत्र की परियोजनाएं हैं। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि पिछले एक महीने में 1,100 अरब रुपए के निवेश की 27 बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है।
चालू खाते के घाटे (कैड) के लिए वित्त का प्रबंध करने में विदेशी संस्थागत निवेश को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बैंकों के साथ बैठक में वित्तमंत्री के साथ आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम और वित्तीय सेवा सचिव राजीव टकरू भी शामिल हुए। बैठक में भारतीय स्टेट बैंक के प्रतीप चौधरी, आईसीआईसीआई बैंक की चंदा कोचर, एचडीएफसी बैंक के आदित्य पुरी, सिटी ग्रुप इंडिया के प्रमीत झावेरी, बैंक आफ इंडिया की विजय लक्ष्मी अय्यर, केनरा बैंक के आर के दुबे और स्टैंर्डर्ड चार्टर्ड इंडिया के अनुराग अदलखा और कुछ अन्य बैंकों के प्रमुख भी शामिल हुये।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन चौधरी से पत्रकारों ने जब पूछा कि क्या वित्त मंत्री ने कोई निर्देश दिया है, जो उन्होंने कहा, इसमें कोई निर्देश नहीं दिया गया। इसमें केवल विचार विमर्श किया गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 22 मई को अमेरिकी केन्द्रीय बैंक फेडरल बैंक की आसान ऋण नीति में बदलाव के संकेत के बात से भारतीय बाजार से अब तक 12 अरब डॉलर की पूंजी निकाल ली है। इसका रुपये की विनिमय दर पर बुरा असर पड़ा है। गुरूवार को कारोबार के दौरान रुपया गिरकर 65.56 प्रति डॉलर चला गया था। इसके लिए चालू खाते के घाटे को मुख्य रूप से जिममेदार माना जा रहा है। यह घाटा पिछले वित्तवर्ष में सकल घरेलू उत्पाद के 4.8 प्रतिशत के बराबर था। (एजेंसी)
First Published: Saturday, August 24, 2013, 20:08