Last Updated: Sunday, January 27, 2013, 19:28
दावोस : वैश्विक अर्थव्यवस्था भयंकर आर्थिक संकट के दौर से निकलकर भले ही थोड़ी बेहतर स्थिति में पहुंच गई है, लेकिन यह आराम करने का समय नहीं है और सरकारों व उद्योगपतियों को वृद्धि दर की गति बनाए रखने के लिए रोजगार सृजन के अलावा युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के काम में जुटे रहना होगा। यह संदेश यहां विश्व आर्थिक मंच की वाषिर्क बैठक में हिस्सा लेने आए 1,600 कारोबारी नेताओं, 50 देशों की सरकारों और 1,000 अन्य नेताओं द्वारा बैठक के समापन समारोह में दिया गया। 22 जनवरी को शुरू हुई बैठक आज संपन्न हो गई।
विश्व आर्थिक मंच की बैठक में रूस, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और मलेशिया ने हजारों अरब डालर का निवेश आकषिर्त करने पर जोर दिया, वहीं चीन मजबूत आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाले देश के तौर पर सामने आया।
भारत की ओर से इस बैठक में 150 से अधिक कारोबारी नेताओं, चार केंद्रीय मंत्रियों और कई अन्य लोगों ने हिस्सा लिया और इस दौरान भ्रष्टाचार और नीतिगत ठहराव जैसे मुद्दे उठाए गए।
हालांकि, भारतीय नेताओं ने जोर देकर कहा कि भारत अपने सुधार के एजेंडा के साथ आगे बढ़ रहा है और यहां विकास की जबर्दस्त संभावनाएं हैं। भ्रष्टाचार का मुद्दा एक विश्वव्यापी मुद्दा है और किसी एक देश पर इसका दोष न मढ़ा जाए।
विश्व के शीर्ष आर्थिक नेताओं ने कहा कि यह आराम करने का समय नहीं है और विभिन्न देशों में सरकारों व उद्योगपतियों द्वारा वृद्धि दर को बनाए रखने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने दुनियाभर के देशों और उनके नेताओं को ‘आराम ना करें’ का सिद्धांत अपनाने और अपने प्रयासों में शिथिलता नहीं आने देने का प्रण लेने को कहा।
स्विस बैंकिंग कंपनी यूबीएस के चेयरमैन एक्सेल वेबर ने कहा कि उन्हें डर है कि कहीं 2013, 2012 को दोहरा न दे क्योंकि पिछला साल भी बेहतर ढंग से शुरू हुआ, लेकिन बाद में चीजें खराब होती चली गईं।
इसी तरह का विचार व्यक्त करते हुए पेरिस स्थित ओईसीडी के महासचिव एंजेल गुरिया ने कहा कि आराम का एहसास करना महज इसलिए गलत है क्योंकि संकट पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।
गरीबी और बेरोजगारी के मुद्दों को उठाते हुए विश्व बैंक के प्रमुख जिम योंग किम ने कहा कि गरीबी उन्मूलन के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए समृद्धि महिलाओं और साथ ही भावी पीढ़ियों के साथ साझा की जाए।
ज्यादातर विकसित देशों में वृद्धि दर नरम पड़ने के साथ रोजगार के अवसर बड़ी मुश्किल से दिख रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर में 7.5 करोड़ से अधिक युवा काम तलाश रहे हैं। (एजेंसी)
First Published: Sunday, January 27, 2013, 19:28