वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था गंभीर संकट में: मनमोहन

वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था गंभीर संकट में: मनमोहन

वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था गंभीर संकट में: मनमोहनलॉस कैबोस (मेक्सिको): जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले भारतीय वार्ताकारों ने यहां कहा कि यदि मौजूदा वैश्विक आर्थिक अस्थिरता बनी रही, तो भारत के पास इससे निपटने के लिए 2008 की तरह संसाधन नहीं रह गए हैं।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सान जोस डेल कैबो अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के तत्काल बाद संवाददाताओं से कहा, "दुनिया गम्भीर संकट में है। आशा है कि जी-20 दुनिया को इस संकट से उबारने के लिए रचनात्मक प्रस्तावों के साथ सामने आएगा।"

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा, "कई मायनों में यह संकट अधिक चुनौतीपूर्ण है। फिलहाल मैं यह नहीं कहूंगा कि यह अधिक गम्भीर है, क्योंकि हमें नहीं पता कि इसे सम्भाल लिया जाएगा या नहीं।"

अहलूवालिया ने कहा, "पहली बार जब संकट पैदा हुआ था तो उससे निपटने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन थे। लेकिन अब इससे निपटने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं हैं।" अहलूवालिया ने 2008 की स्थिति से आज की तुलना की, जब यह आर्थिक संकट शुरू हुआ था।

अहलूवालिया ने कहा, "जब एक बड़ा वैश्विक संकट हो, तो उभरते बाजार उससे प्रभावित हुए बगैर नहीं रह सकते।" उनके अनुसार, भारत की मंदी का मुख्य कारण दुनिया भर में घट रहीं घटनाओं का परिणाम है। लेकिन उन्होंने माना कि घरेलू समस्याएं भी हैं, जिन्हें सुलझाने की जरूरत है।

अहलूवालिया ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अपेक्षित देश की विकास दर पर कहा, "इस वर्ष यदि हम 6.5 और सात प्रतिशत के बीच रहे तो हम भाग्यशाली माने जाएंगे।"

जी-20 शिखर सम्मेलन में मनमोहन सिंह के प्रमुख वार्ताकार अहलूवालिया ने कहा कि ग्रीस संसदीय चुनाव के परिणाम बाजार को थोड़ी राहत प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि ये परिणाम देश को यूरोजोन में बने रहने और सुधारों को अपनाने में मददगार हो सकते हैं।

अहलूवालिया ने आगे कहा कि स्थिति इससे भी अधिक उपायों की मांग करती है और इसका कोई अल्पकालिक समधान नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि यह मंदी किसी तात्कालिक उपाय से नहीं सम्भाली जा सकती, `खर्च में संतुलन जैसे उपायों में तेजी लाया जाए`।"

First Published: Tuesday, June 19, 2012, 00:27

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