Last Updated: Monday, May 21, 2012, 17:22
नई दिल्ली : वोडाफोन के साथ जारी कर विवाद के बीच सरकार ने सोमवार को कहा कि यह मामला जटिल कंपनी ढांचे का दुरुपयोग करते हुए कर भुगतान से बचने एक ताजा उदाहरण है। वोडाफोन ने संयुक्त उद्यम दूरसंचार कंपनी हचिसन.एस्सार में हचिसन की हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था, जिसपर उससे कर की मांग की गई है।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा संसद के दोनों सदनों के पटल पर कालेधन पर रखे गए श्वेतपत्र में कहा गया है कि वोडाफोन कर मामला कंपनी कर ढांचे का दुरुपयोग कर कर भुगतान से बचने का एक जीता जागता उदाहरण है। हचिसन समूह ने फरवरी 2007 में भारत में अपने समूचे कारोबार को वोडाफोन समूह को 11.2 अरब डालर में बेच दिया था। यह सौदा केमन स्थित एक कंपनी के शेयरों की बिक्री करके किया गया।
श्वेतपत्र में कहा गया है कि इस मामले में हचिसन समूह ने भारत में वर्ष 1992 से लेकर 2006 तक विभिन्न इकाईयों के जरिये निवेश किया। इन कंपनियों की अपनी अलग पहचान थी, लेकिन ये सभी कंपनियां केमेन आइलैंड, ब्रिटिश विर्जिन आईलैंड और मारीशस के पते वाली थी। श्वेतपत्र में कहा गया है कि जब कर अधिकारियों ने कंपनी के खातों के बारे में जानकारी मांगी तो जवाब मिला के केमेन आइलैंड के कानून के अनुसार कंपनी को अपने खाते रखने की जरुरत नहीं है।
इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने भी अपने फैसले में कहा कि हचिसन हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने पर वोडाफोन को कर नहीं देना होगा। वर्ष 2012-13 के आम बजट में वित्त मंत्री मुखर्जी ने आयकर कानून 1961 में संशोधन का प्रस्ताव किया। इसमें विदेशों में होने वाले विलय और अधिग्रहण को पिछली तिथि से कर दायरे में लाने का प्रावधन किया गया है।
(एजेंसी)
First Published: Monday, May 21, 2012, 22:52