Last Updated: Wednesday, August 29, 2012, 23:54
नई दिल्ली : दो दशक पहले शुरू हुए आर्थिक सुधारों के बाद पहली बार शहरों की तुलना में ग्रामीण भारत में खपत ज्यादा तेजी से बढ़ी है। एक अध्ययन में कहा गया है कि गांवों में खपत बढ़ने की मुख्य वजह गैर कृषि रोजगार के ज्यादा अवसरों के सृजन की वजह से परिवारों की आमदनी बढ़ना है।
साख निर्धारण एजेंसी क्रिसिल के अध्ययन के अनुसार, 2009-10 और 2011-12 के दौरान ग्रामीण भारत का अतिरिक्त खर्च (उपभोग) 3.75 लाख करोड़ रुपए रहा है, जो शहरी लोगों के अतिरिक्त उपभोग (2.9 लाख करोड़ रुपए) से कहीं अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण भारत में खपत या खर्च में इजाफे की मुख्य वजह गैर कृषि रोजगार के अवसरों की वजह से ग्रामीण परिवारों की आमदनी बढ़ना है। इसके अलवा सरकार भी रोजगार सृजन योजनाओं के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के आंकड़ों के अनुसार 2004-05 से 2009-10 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण क्षेत्र के रोजगार में 88 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं इस दौरान कृषि क्षेत्र में कार्यरत लोगों की संख्या 24.9 करोड़ से घटकर 22.9 करोड़ रह गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा गांवों से शहरों का रुख करने वाले लोगों को बुनियादी ढांचा तथा निर्माण परियोजनाओं में रोजगार के अवसर सुलभ हुए हैं। इन लोगों द्वारा गांवों में अपने परिवारों को धन भेजा जा रहा है, जिससे खपत में इजाफा हुआ है।
अध्ययन में बताया गया है कि ग्रामीण खपत में जो एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है वह यह कि अब लोग जरूरत के अलावा अन्य सामान भी खरीद रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक दो ग्रामीण परिवारों में से एक के पास मोबाइल फोन है। यहां तक कि देश के बिहार और ओडिशा जैसे गरीब राज्यों में भी प्रत्येक तीन में से एक ग्रामीण परिवार के पास मोबाइल फोन है।
क्रिसिल ने कहा कि 2009-10 में 14 फीसदी ग्रामीण परिवारों के पास दोपहिया था। यह आंकड़ा 2004-05 की तुलना में दोगुना है। अध्ययन में कहा गया है कि युवा आबादी, बढ़ता आय स्तर तथा कई टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की सीमित पहुंच का मतलब है कि ग्रामीण खपत मांग का एक महत्वपूर्ण स्रोत बनी रहेगी।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से रोजगार के स्तर में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। इससे ग्रामीण परिवारों को अपनी परंपरागत कृषि आय की पूर्ति करने में मदद मिली है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, August 29, 2012, 17:39