Last Updated: Sunday, August 25, 2013, 09:12

मुंबई : रुपये की चाल और वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) सौदे की परिपक्व ता का अगले सप्ताह शेयर बाजारों पर मुख्य रूप से असर होगा। वायदा एवं विकल्प खंड में शेयर कारोबारी अगस्त के सौदों का निपटारा कर सितंबर के लिए नया स्थान लेंगे, इससे बाजार में काफी उतार-चढ़ाव की उम्मीद है। अगस्त 2013 के डेरीवेटिव सौदे 29 अगस्त को परिपक्व होंगे। कुछ कंपनियां अभी भी मौजूदा कारोबारी साल की पहली तिमाही के परिणामों की घोषणा करने वाली हैं।
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय 30 अगस्त को मौजूदा कारोबारी साल की पहली तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) की वृद्धि दर का आंकड़ा जारी करेगा। पिछले कारोबारी साल की आखिरी तिमाही में विकास दर 4.78 फीसदी थी, जबकि पिछले कारोबारी साल की विकास दर पांच फीसदी रही थी।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए प्रोत्साहन योजना धीमे-धीमे समाप्त करने का संकेत दिए जाने के कारण पिछले कुछ सत्रों से देश की मुद्रा रुपये का डॉलर के मुकाबले लगातार अवमूल्यन होता जा रहा है। फेडेरल रिजर्व अगले महीने से ही प्रोत्साहन वापसी शुरू कर सकती है। ऐसे में रुपये पर और दबाव बढ़ेगा। इससे रुपये का और भी अवमूल्यन हो सकता है। ऐसे में निवेशकों की निगाह निश्चित रूप से रुपये की चाल पर रहेगी।
रुपये के अवमूल्यन से महंगाई बढ़ने का अंदेशा है। इससे आयात महंगा होगा और चालू खाता घाटा भी बढ़ेगा। इसके कारण सरकार ईंधन पर सब्सिडी बढ़ाएगी, जिससे वित्तीय घाटा भी बढ़ेगा। पांच अगस्त से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र में पेंशन और खाद्य विधेयक जैसे कई महत्वपूर्ण विधेयक पर फैसले का इंतजार है, लेकिन तेलंगाना, नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी, कोयला ब्लॉक आवंटन के दस्तावेज का गुम होना जैसे मुद्दों पर शोर-शराबे के कारण संसद की कार्यवाही बाधित होती रही है।
इस साल बेहतर बारिश के कारण कृषि उपज बेहतर रहने की उम्मीद है। इससे खाद्य महंगाई दर में कमी आ सकती है। उपज बेहतर रहने से ग्रामीणों की क्रय क्षमता बढ़ेगी और इससे मांग में तेजी आएगी। इसके अलावे आगामी त्योहारी सत्र के कारण भी खुदरा बाजार में तेजी रहने के आसार हैं। खास तौर से वाहन और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु क्षेत्र की कंपनियां दूसरी और तीसरी तिमाही में अच्छा कारोबार कर सकती हैं।
आने वाले कुछ सप्ताहों में बाजार में शेयरों की व्यापक आपूर्ति के कारण शेयर बाजारों के सूचकांकों के ऊपर की ओर बढ़ने की उम्मीद कम ही है। वर्ष 2013-14 में सरकारी कंपनियों के विनिवेश के सरकारी लक्ष्य से भी शेयरों की बिकवाली को हवा मिलेगी। सरकार ने सार्वजनिक कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी के विनिवेश से वर्तमान कारोबारी वर्ष में 40 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है इसके साथ ही सरकार ने निजी कंपनियों में भी अपनी हिस्सेदारी के विनिवेश से 14 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
लोकसभा चुनाव से जुड़ी खबरों के चलते अगले साल मई तक शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बने रहने के आसार हैं। माना जा रहा है कि अगली सरकार कई पार्टियों की मिलीजुली हो सकती है और इससे सुधार की प्रक्रिया के अवरुद्ध हो सकती है। इसका असर वित्तीय घाटा प्रबंधन पर नकारात्मक रूप से पड़ सकता है और वैश्विक रेटिंग एजेंसियां भारत की रेटिंग घटा सकती हैं।
बाजार में इस वक्त सेंसेक्स से बाहर बड़ी संख्या में शेयरों में काफी गिरावट चल रहा है। इसको देखते हुए निवेशक `बॉटम अप` की रणनीति अपना सकते हैं। यानी वे सस्ते शेयर खरीद सकते हैं। छोटे निवेशकों को इस दौरान सेक्टर कॉल लेने के बजाय खास-खास शेयरों पर ध्यान देना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Sunday, August 25, 2013, 09:12