सब्सिडी लीकेज से उड़ रही है नींद: प्रणब - Zee News हिंदी

सब्सिडी लीकेज से उड़ रही है नींद: प्रणब




गुड़गांव : वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने रविवार को कहा कि सब्सिडी मात्रा के कारण नहीं बल्कि जरूरतमंदों तक वित्तीय मदद नहीं पहुंच के कारण उनकी नींद उड़ी है।

 

सब्सिडी ‘लीकेज’ के बारे में बातचीत करते हुए मुखर्जी ने कहा, मेरी नींद गरीबों तथा जरूरतमंदों एवं लक्षित समूह तक सब्सिडी नहीं पहुंचने के कारण उड़ी है न कि उसकी मात्रा को लेकर। ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स (ओबीसी) द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम में मुखर्जी ने कहा कि ग्रामीण आबादी तक बैंकिंग सुविधा पहुंचाने तथा आधार परियोजना (नागरिकों को आधार संख्या देना) जैसे कई वित्तीय समावेशी योजनाओं के कारण सब्सिडी लीकेज की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।

 

उन्होंने कहा, बैंक स्वाभिमान जैसे समावेशी कार्यक्रमों के जरिये प्रमुख भूमिका निभा सकता है। वित्त मंत्री ने कहा, अगर ये सब्सिडी बैंकिंग नेटवर्क के जरिये दी जाती है तो लीकेज को कम किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरूआत में मुखर्जी ने कहा कि सब्सिडी बिल बढ़ने से उनकी रातों की नींद उड़ गयी है। इसके कुछ दिन बाद उन्होंने कहा कि उन्होंने यह टिप्पणी हल्के-फुल्के अंदाज में की थी, और भारतीय अर्थव्यवस्था किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम है।

 

ओबीसी के कारपोरेट कार्यालय का उद्घाटन करते हुए मुखर्जी ने कहा, केंद्र सरकार लाभान्वितों को बकाया के सीधे भुगतान के लिए ई पेमेंट प्रणाली लागू करने की।

 

उन्होंने कहा, मैंने पिछले साल अपने बजट भाषण में इस प्रणाली की घोषणा की थी। इस प्रणाली से केंद्र द्वारा सब्सिडी के सीधे भुगतान में तेजी तथा पारदर्शिता आएगी। इस प्रणाली में उर्वरक, केरोसीन तथा रसोई गैस के लिए केंद्रीय भुगतान इकाइयों से लक्षित लाभान्वितों को सीधा भुगतान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी बैंकों को इस महत्वाकांक्षी प्रशासनिक सुधार के लिए खुद को तैयार करना चाहिए और मुझे उम्मीद है कि ओबीसी इसमें पीछे नहीं रहेगा।

 

इसके साथ ही वित्त मंत्री ने बैंकों से वित्तीय समावेशन, उत्पादन नवोन्मेष, प्रौद्योगिकी उन्नयन तथा विविधिकरण के जरिए वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करने को कहा। उन्होंने बैंकों से कहा कि वे अपने परिचालन तथा कार्य व्यवहार में ग्राहक केंद्रित तथा उनके मित्रवत बनें।  (एजेंसी)

First Published: Sunday, February 19, 2012, 21:10

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