Last Updated: Wednesday, November 14, 2012, 23:03

नई दिल्ली : बहुचर्चित 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी सरकार की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। नीलामी शुरू होने के बाद आज दूसरे दिन समाप्त हो गई जिसमें मात्र 9,407 करोड़ रुपए की बोलियां प्राप्त हुईं। आधे से भी कम स्पेक्ट्रम के लिए बोलियां प्राप्त हुईं और जितनी राशि की उम्मीद की जा रही थी उससे मात्र तिहाई हिस्से की ही बोली लगी।
नीलामी से सरकार को मिली राशि दो साल पहले कैग की चर्चित रपट में पेश ऊंचे अनुमानों के हिसाब से तो और भी कम मानी जा रही है। दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने दो दिन चली इस नीलामी के बाद कहा कि कुल मिलाकर 9,407.64 करोड़ रुपये की बोलियां प्राप्त हुई। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 2010 में 3जी स्पेक्ट्रम के लिए 35 दिन चली नीलामी में सरकार को 67,719 करोड़ रुपये की बोलियां प्राप्त हुई थीं।
2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी को लेकर पिछले कई महीनों से काफी चर्चा थी और सरकार जीएसएम बैंड में यह स्पेक्ट्रम बेचकर 28,000 करोड़ रुपये पाने का लक्ष्य लेकर चल रही थी। ऐसे में सरकार का राजकोषीय घाटे को जीडीपी का 5.3 प्रतिशत रखने की उम्मीदों को भी धक्का लग सकता है। सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में स्पेक्ट्रम बेचकर कुल मिलाकर 40,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
उल्लेखनीय है कि कैग ने अपनी रपट में अनुमान लगाया था कि 2008 में पहले आओ पहले पाओ के आधार पर स्पेक्ट्रम बेचने से सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सिब्बल ने इस पर टिप्पणी से इनकार किया। कैग की रिपोर्ट के अनुमानित नुकसान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने सिर्फ यह कहा, 'तथ्य देश के सामने हैं और जो पूरी तरह स्पष्ट हैं।' 3जी नीलामी की कीमत के हिसाब से मौजूदा ब्रिकी से एक लाख करोड़ रुपये मिलने थे लेकिन हमें तो 9,407 करोड़ रुपए मिले हैं। स्पेक्ट्रम बोली में शामिल पांच कंपनियों में से किसी ने भी अखिल भारतीय (पैन इंडिया) स्पेक्ट्रम के लिए बोली पेश नहीं की। नीलामी में अखिल भारतीय स्तर पर सेवा नेटवर्क के लिए पांच मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम का आरक्षित मूल्य 14,000 करोड़ रुपये तय किया गया था।
सिब्बल ने कहा कि 144 ब्लाक की पेशकश की गई थी जिनमें से 101 के लिए बोली लगाई गई। स्पेक्ट्रम के आरक्षित या आधार मूल्य में 40 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले दिल्ली व मुंबई महानगर के लिए एक भी बोली नहीं आई। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने इस साल फरवरी में उन 122 मोबाइल लाइसेंस को रद्द कर दिया था जो नौ कंपनियों को 2008 में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा के कार्यकाल में आवंटित किए गए थे। सरकार ने इससे खाली हुए स्पेक्ट्रम में से आधे से अधिक की पेशकश की थी।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने 2010 में अपनी रपट में कहा था कि राजा द्वारा 2001 की कीमतों पर स्पेक्ट्रम आंवटित करने के फैसले से सरकारी खजाने को लगभग 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके बाद सरकार ने आधार मूल्य लगभग 3जी की नीलामी के लिए रखे गये मूल्य के समान ही 2जी की नीलामी के लिये तय किया। इसके साथ ही सरकार ने 2008 में चुकाई गई लाइसेंस फीस का रिफंड करने का वादा किया है यानी सरकारी खजाने को मोटा माटी कोई फायदा होने नहीं जा रहा है।
इस बार कंपनियों की सरकार से साठ गांठ के आरोपों को खारिज करते हुए सिब्बल ने कहा, 'हमने तो वही किया जो अदालतों ने हमसे कहा था। अदालत ने स्पेक्ट्रम की ब्रिकी 18,000 करोड़ रुपये (न्यूनतम मूल्य) पर करने को कहा था लेकिन हमने इस कीमत को कम किया क्योंकि हम बेचना चाहते थे और चाहते थे कि कंपनियां खरीदें।' उन्होंने कहा, 'ट्राई की सिफारिश के हिसाब से हमने 18,000 करोड़ रुपये का मूल्य तय किया होता तो यह (9,407 करोड़ रु) भी नहीं मिलते।'
आरंभिक आंकड़ों के अनुसार 2जी की इस नीलामी में वोडाफोन इंडिया सबसे बड़ी विजेता के रूप में उभरी है जिसे 14 सर्किलों के लिए अतिरिक्त स्पेक्ट्रम मिला है। उसे यह स्पेक्ट्रम जम्मू कश्मीर, असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश पूर्व, उत्तर प्रदेश पश्चिम, मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, बिहार, केरल, ओडिशा, पूर्वोत्तर, पंजाब व केरल है। भारती एयरटेल को केवल असम सर्किल मिला है। इसके अलावा आइडिया सेल्यूलर को आठ सर्किलों तथा टेलीनॉर को छह सर्किलों में स्पेक्ट्रम मिला है। वहीं वीडियोकान को बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश (पूर्व और पश्चिम) सर्किल के लिये स्पेक्ट्रम मिला है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 14, 2012, 20:28