Last Updated: Friday, October 19, 2012, 16:12

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि निवेशकों को 24 हजार करोड़ रुपया वापस करने और बाजार नियामक को सारे दस्तावेज सौंपने के न्यायिक आदेश पर अमल नहीं होने की स्थिति में सेबी सहारा समूह के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
सहारा समूह की दो कंपनियों ने पूर्ण परिवर्तनीय ऋणपत्रों के जरिये निवेशकों से यह रकम जुटाई थी। इन रिण पत्रों पर पूरी तरह इक्विटी शेयर में बदलने का विकल्प रखा गया था।
न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की खंडपीठ ने कहा कि उसके आदेश पर अमल नहीं होने की स्थिति में कानूनी प्रावधानों के अनुरूप कार्रवाई करना सेबी का कर्तव्य है।
सेबी ने न्यायालय में एक अर्जी दायर कर आरोप लगाया है कि सहारा समूह उच्चतम न्यायालय के 31 अगस्त के निर्देशों पर अमल नहीं कर रहा है। न्यायालय ने अपने फैसले में सहारा समूह को निर्देश दिया था कि निवेशकों से संबंधित सारी सूचनाएं और दस्तावेज दस दिन के भीतर सेबी को मुहैया कराये जायें।
न्यायाधीशों ने इस संबंध में अतिरिक्त समय देने के लिए सहारा समूह के मौखिक अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कहा कि यह सब लिखित में देने की आवश्यकता है।
न्यायालय ने 31 अगस्त को सहारा समूह की कंपनी सहारा इंडिया रियल इस्टेट कापरेरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेन्ट कापरेरेशन को निवेशकों से जुटाई गयी धनराशि उन्हें लौटाने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने कहा था कि यदि सहारा समूह की कंपनियों यह धनराशि लौटाने में असफल रहीं तो सेबी इन कंपनियों के बैंक खाते जब्त कर सकता है। न्यायालय ने इसके साथ ही सहारा की दो कंपनियों के खिलाफ सेबी की कार्रवाई की निगरानी की जिम्मेदारी सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी एन अग्रवाल को को सौंप दी थी। (एजेंसी)
First Published: Friday, October 19, 2012, 15:22