Last Updated: Thursday, May 2, 2013, 22:09

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने निवेशकों का 24 हजार करोड़ रपया लौटाने और संपत्ति की कुर्की के खिलाफ सहारा समूह और इसके मुखिया सुब्रत रॉय द्वारा दायर याचिकाओं पर की जा रही कार्यवाही पर आज रोक लगा दी। सेबी ने आरोप लगाया था कि सहारा समूह और सुब्रत राय सहारा प्रक्रिया में विलंब के लिए अलग-अलग मंचों की शरण ले रहे हैं।
न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की खंडपीठ ने ऐसे सारे मामले जो उन्होंने प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर किये हैं, उन्हें शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की सेबी की अर्जी पर सहारा समूह और सुब्रत रॉय को नोटिस जारी किये हैं।
इस मामले की सुनवाई के दौरान बाजार नियामक सेबी ने सहारा समूह और उसके प्रमोटर पर शीर्ष अदालत के आदेश का ‘मखौल’ बनाने का आरोप लगाया। इस आदेश में न्यायालय ने उन्हें सेबी के पास 24 हजार करोड़ रपए जमा कराने का निर्देश दिया था जो इस धन को तीन करोड़ से अधिक निवेशकों को लौटाएगा।
सेबी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल दीवान ने कहा कि सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कापरेरेशन और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेन्ट कॉरपोरेशन में निवेश करने वाले व्यक्तियों के संबंध में सहारा समूह द्वारा मुहैया करायी गयी सीडी में ‘हतप्रभ करने वाली बातें’ हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि, इसमें करीब 6000 कलावती के नाम तो नहीं हैं जैसा कि मीडिया में आया था लेकिन इसमें 1433 अनिरद्ध सिंह हैं जिनके बारे में समूह का दावा है कि उसने 34 गुणा धन वापस किया है।
सहारा समूह की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी और वकील केशव मोहन का कहना था कि सेबी उनका समय बर्बाद कर रहा है। उनका दावा था कि उसके खिलाफ पूर्वाग्रह का माहौल है और सेबी निवेशकों के बारे में मीडिया को सूचनाएं लीक कर रही है। न्यायाधीशों ने हालांकि कहा कि हर मामले पर मीडिया में चर्चा हो रही है लेकिन हम इन खबरों से प्रभावित नहीं होते हैं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, May 2, 2013, 22:09