Last Updated: Sunday, June 23, 2013, 00:04

मुंबई : सामूहिक निवेश योजनाओं पर एक बार फिर प्रहार करते हुये पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अल्फ्राकेमिस्ट इंफ्रा रीएल्टी लिमिटेड को अपनी गतिविधियां बंद करने और जनता से जुटाई गई पूरी धनराशि तीन महीने के भीतर लौटाने को कहा है। जुटाई गई राशि 1,000 करोड़ रुपए से अधिक हो सकती है।
सेबी ने इसके अलावा कंपनी की सभी गतिविधियां बंद होने और निवेशकों को पूरी राशि लौटाने तक के उसके पांच निदेशकों को प्रतिभूति बाजार में प्रवेश करने से भी रोक दिया।
सेबी के 21 जून को जारी आदेश में बाजार नियामक ने कंपनी और उसके निदेशकों को चेतावनी भी दी है कि यदि उसके आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तो उनके खिलाफ ‘धोखाधड़ी, ठगी, विश्वास तोड़ने का आपराध और सार्वजनिक कोष का गलत इस्तेमाल’ करने के मामले में आपराधिक मामला और अभियोजन की कारवाई शुरू किया जा सकता है।
सेबी ने कंपनी की जांच पड़ताल के दौरान पाया कि उसके निवेश आवेदन फार्म में यह लिखा गया था कि ‘अल्केमिस्ट समूह’ विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में शामिल है। कंपनी 5,000 करोड़ रुपए के पूंजी आधार के साथ इस्पात, खाद्य और पेय पदार्थों के अलावा आईटी, स्वास्थ्य देखभाल, मीडिया, उड्डयन, रीएल्टी, आतिथ्य, शिक्षा और चाय बागानों के क्षेत्र में कार्यरत है।
सेबी आदेश में कहा गया है ‘निवेशक इससे भ्रमित हुये हैं कि कंपनी अल्केमिस्ट इंफ्रा रीएल्टी लिमिटेड, अल्केमिस्ट समूह का हिस्सा है, जबकि कंपनी ने (सेबी के समक्ष) यह कहा है कि वह अल्केमिस्ट समूह के साथ नहीं जुड़ी है।’ अल्केमिस्ट समूह का नेतृत्व के.डी. सिंह के हाथों में है जो कि वर्तमान में झारखंड से तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हैं।
सेबी ने मामले की जांच 2011 में शुरू की थी जब उसे नियमों की अनदेखी कर जनता से धन जुटाने के बारे में कंपनी के खिलाफ शिकायतें मिलीं। नियामक को बाद में पता चला कि कंपनी भूसंपत्ति कारोबार के बजाय ‘सामूहिक निवेश योजना’ चला रही है और 31 मार्च 2011 को उसने 1,087 करोड़ रपये जुटा लिये थे।
जांच के दौरान कंपनी ने शुरू में सेबी को कोई भी ब्योरा देने से इनकार कर दिया। कई बार रिमाइंडर भेजे जाने के बाद अल्केमिस्ट इंफ्रा ने सेबी को कुछ जानकारी उपलब्ध कराई। इसके बाद वर्ष 2012 में सेबी ने कंपनी और उसके निदेशकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
कंपनी ने इस साल फरवरी में झारखंड उच्च न्यायालय में भी गुहार लगाई लेकिन न्यायालय ने 10 मई के अपने आदेश के जरिये याचिका को खारिज कर दिया और सेबी को जांच पूरी करने के बाद छह सप्ताह में आदेश जारी करने को कहा।
कंपनी ने 4 जून को दिल्ली उच्च न्यायालय में एक और याचिका दायर की लेकिन न्यायालय ने उसे 11 जून तक सेबी के कारण बताओ नोटिस का जवाब देने को कहा। सेबी ने जांच में पाया कि अल्केमिस्ट निवेशकों से कम से कम 1,000 रुपए और उसके गुणकों में राशि स्वीकार करती है। इसके एवज में निवेशकों को अचल संपत्ति आवंटित की जाती थी जिसे वापस कंपनी को ‘निर्धारित अवधि किराया समझौते’ के तहत पट्टे पर दिया जाता था। (एजेंसी)
First Published: Sunday, June 23, 2013, 00:04