Last Updated: Tuesday, April 9, 2013, 00:25

मुंबई : प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने सोमवार को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के खिलाफ रिलायंस इंडस्ट्रीज की अपील पर सुनवाई 14 जून तक टाल दी।
सैट ने दोनों पक्षों से इस बीच में लिखित में और ब्योरा मांगा है। यह मामला सेबी के मामले को सहमति से निपटाने की व्यवस्था से संबंधित है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज की पूर्ववर्ती सहायक इकाई आरपीएल के शेयरों की बिक्री में भेदिया कारोबार नियमों के कथित उल्लंघन के मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज ‘आपसी सहमति’ से मामला निपटाने की अपील की थी। सेबी ने कंपनी की इस अपील को खारिज कर दिया था। उसके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सैट में अपील की है।
मामले की सुनवाई के बाद सैट ने सेबी से रिलायंस इंडस्ट्रीज की अपील पर चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है इसके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज को चार सप्ताह में सेबी के जवाब पर अपनी प्रतिक्रिया देनी होगी। मामले की अगली सुनवाई 14 जून को होगी।
सेबी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि नियामक को सहमति से निपटान मामले को स्वीकार या ठुकराने का अधिकार है। सैट ने दोनों पक्षों से लिखित में ब्योरा मांगते हुए कहा कि वह पहली बार इस तरह के मामले की सुनवाई कर रहा है।
सैट में इस मामले की आखिरी सुनवाई 14 मार्च को हुई थी। उस समय इसे 8 अप्रैल तक टाल दिया गया था। सेबी की सहमति से निपटान की व्यवस्था के तहत कंपनियां बाजार नियामक के साथ कुछ शुल्क तथा अनुचित लाभ को लौटाकर मामले को निपटा सकती हैं।
सेबी द्वारा सुलह सफाई मार्ग से मामले को निपटाने की मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज की अपील को सेबी ने खारिज कर दिया था। उसके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज सैट में चली गई थी।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सेबी द्वारा उसकी अपील को खारिज करने को चुनौती दी है। साथ ही नियामक द्वारा मामलों को निपटाने के लिए सहमति नियमन में बदलाव को भी चुनौती दी है। विशेषकर उन मामलों में जो पहले से विचारार्थ हैं।
मई, 2012 में सेबी ने सहमति से निपटान ढांचे के तहत नियमों को कड़ा कर दिया था। इस वजह से भेदिया कारोबार तथा अन्य मामलों का निपटारा इस मार्ग से नहीं हो पा रहा है।
सेबी ने 3 जनवरी को 149 सहमति से निपटान वाली अपील प्रकाशित की थीं। इनमें से 16 रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह की इकाइयों की हैं। सेबी ने कहा था कि इन अपीलों को सहमति से निपटान प्रक्रिया के तहत निपटाया नहीं जा सकता। (एजेंसी)
First Published: Monday, April 8, 2013, 17:50