स्पेक्ट्रम का भुगतान किस्तों में देने की अनुमति हो:टेलीनॉर

स्पेक्ट्रम का भुगतान किस्तों में देने की अनुमति हो:टेलीनॉर

नई दिल्ली : नॉर्वे की दूरसंचार कंपनी टेलीनॉर ने कहा है कि यदि सरकार ने आगामी स्पेक्ट्रम नीलामी में भुगतान लंबे समय या किस्तों में करने की अनुमति नहीं दी, तो वह इसमें शामिल नहीं होगी।

टेलीनॉर के कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं एशिया के क्षेत्रीय प्रमुख सिग्वे ब्रेके ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र के लिए धन जुटाना लगातार कठिन होता जा रहा है। लंबे समय में भुगतान से यूनिनॉर जैसे आपरेटरों को स्पेक्ट्रम और नेटवर्क विस्तार में निवेश में मदद मिलेगी।

ब्रेके ने यहां संवाददाताओं से कहा, खासकर हमारे जैसे नए खिलाड़ियों के लिए धन जुटाना मुश्किल हो रहा है। आपको परिचालन के लिए 4 ब्लाकों या 5 मेगाहट्र्ज की जरूरत होगी। ऐसे में मौजूदा कंपनियों की तुलना में हमारे जैसी कंपनियों को एक साथ भुगतान करना मुश्किल होगा। हमें स्पेक्ट्रम के लिए नकदी का इस्तेमाल करना होगा। हम विस्तार नहीं कर पाएंगे।

उच्चतम न्यायालय ने इस साल फरवरी में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल में दिए गए 2जी मोबाइल सेवाओं के 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे। शीर्ष अदालत ने स्पेक्ट्रम की नई सिरे से नीलामी का निर्देश दिया था। दूरसंचार नियामक को बोली के लिए आधार मूल्य तय करने का काम सौंपा गया था। आपरेटरांे ने स्पेक्ट्रम के मूल्य पर ट्राई की सिफाशिों का विरोध किया है। ट्राई ने 1,800 मेगाहट्र्ज बैंड में एक मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के लिए 3,622 करोड़ रुपये के आधार मूल्य का सुझाव दिया है, जो 2008 में दिए गए 2जी लाइसेंस के मूल्य का दस गुना है।

टेलीनॉर भारत में रीयल एस्टेट कंपनी यूनिटेक के साथ यूनिनॉर संयुक्त उद्यम का परिचालन करती है। वह पहले ही कह चुकी है कि यदि स्पेक्ट्रम मूल्य पर ट्राई की सिफारिशों को स्वीकार किया जाता है, तो उसे भारत ‘छोड़ने’ पर मजबूर होना पड़ेगा। यूनिनॉर की 67 फीसद हिस्सेदारी टेलीनॉर के पास है। शेष हिस्सेदारी भारतीय भागीदार के पास है। (एजेंसी)

First Published: Thursday, May 31, 2012, 21:27

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