Last Updated: Tuesday, May 28, 2013, 15:16

नई दिल्ली : स्पेक्ट्रम फ्रिक्वेंसी बैंड बदलने का मुद्दा अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह की अगली बैठक के समक्ष रखा जाएगा। स्पेक्ट्रम बैंड बदलने से एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया आदि दूरसंचार प्रदाता कंपनियों की लागत बढ़ सकती है। एक अध्ययन के मुताबिक मोबाइल सिग्नल संप्रेषण के लिए फ्रिक्वेंसी में बदलाव से दूरसंचार कंपनियों के खर्च में करीब एक लाख करोड़ रुपये तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
कानून एवं दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, ‘इस मसले को अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह के पास भेजा जा रहा है। मंत्रीसमूह की बैठक जल्द होगी। वास्तव में हमें पिछले सप्ताह ही मिलना था, लेकिन कई कारणों से यह बैठक नहीं हो सकी.. मैं उसका खुलासा नहीं कर सकता। ’
दूरसंचार कंपनियों मुख्य रूप से एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया सेल्युलर ने स्पेक्ट्रम बैंड बदलने का विरोध किया है। इसके लिए कंपनियों को 900 मेगाहर्ट्ज वाले बैंड खाली करने होगे, इस बैंड के तहत सेवायें उपलब्ध कराने की लागत दूसरी फ्रिक्वेंसी वाले स्पेक्ट्रम बैंड के मुकाबले कम है या फिर उन्हें इसी बैंड में सेवा जारी रखने के लिये उंची कीमत चुकानी होगी।
सरकार ने दूरसंचार कंपनियों से लाइसेंस अवधि समाप्त होने के बाद 1800 मेगाहर्ट्ज के 2जी फ्रीकन्वेसी बैंड में जाने को कहा है। एयरटेल, वोडाफोन और लूप मोबाइल का दो सर्किल में लाइसेंस 2014 में समाप्त हो रहा है। मौजूदा नियमों के अनुसार उन्हें नीलामी में शामिल होकर स्पेक्ट्रम हासिल करना होगा।
सिब्बल ने कहा ‘हम अब और नीलामी करने जा रहे हैं, यह नीलामी 900 मेगाहर्ड्ज और 1800 मेगाहट्र्ज दोनों बैंड में होगी। यह बहुत जल्द होगा।’ (एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 28, 2013, 15:16