Last Updated: Thursday, April 11, 2013, 13:23

नई दिल्ली : भारती के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सुनील मित्तल और एस्सार समूह के प्रवर्तक रवि रूइया 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में गुरुवार को दिल्ली की सुनवायी अदालत में पेश हुए। अदालत इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 16 अप्रैल तय की है।
मित्तल और रुइया को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के समय मोबाइल कंपनियों को दिए गए अतिरिक्त स्पेक्ट्रम संबंधी मामले में बतौर अभियुक्त सम्मन जारी किया गया था।
मित्तल के वकील ने सीबीआई के न्यायाधीश ओ पी सैनी के सामने उच्चतम न्यायालय के आदेश को पेश किया जिसमें मामले की सुनवाई 16 अप्रैल तक स्थगित रखने का निर्देश है।
इस मामले में सैनी की अदालत ने मित्तल और रूइया के साथ साथ पूर्व दूरसंचार सचिव श्यामल घोष को भी सम्मन भेजा था। वह भी न्यायाधीश के सामने हाजिर हुए।
मित्तल और रुइया द्वारा दायर अलग याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय के निर्देश के मद्देनजर विशेष सुनवायी-अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 16 अप्रैल तय की। उच्च न्यायालय मित्तल और रुइया की याचिकाओं पर 15 अप्रैल को सुनवाई करने वाला है।
विशेष अदालत ने 19 मार्च को मित्तल, रूइया को सम्मन जारी किया था। इनके अलावा अदालत ने भारती सेल्यूलर लि., स्टर्लिंग सेल्यूलर लिमिटेड (अब वोडाफोन मोबाइल सर्विसेज लि) और हचिसन मैक्स टेलीकाम प्राइवेट लिमिटेड (अब वाडाफोन इंडिया लि) को भी सम्मन जारी किया था। इनके साथ साथ हचिसन के तत्कालीन प्रबंध निदेशक असीम घोष को को भी सम्मन जारी किया था।
हालांकि 21 दिसंबर 2012 को इस मामले में दायर आरोप पत्र में जांच एजेंसी सीबीआई की ओर से मित्तल और रुइया को नामजद नहीं किया गया था। बावजूद इसके अदालत ने प्रथम दृष्टया उन्हें दोषी मानते हुए उन्हें सम्मन जारी कर दिया।
आज अदालत में तीनों कंपनियों का प्रतिनिधित्व उनके वकीलों ने किया।
सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में दूरसंचार विभाग द्वारा अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटित करने के मामले में तीन कंपनियों को आरोपी करार दिया था।
आरोप है कि अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन से सरकारी खजाने को 846 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि कनाडा में रहने वाले प्रवासी भारतीय असीम घोष को सम्मन तामील नहीं कराया जा सका है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, April 11, 2013, 13:23