स्वदेशी शोध को नई सोच जरूरी : नारायण मूर्ति

स्वदेशी शोध को नई सोच जरूरी : नारायण मूर्ति

नई दिल्ली : इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने आज कहा कि साफ्टवेयर उद्योग में उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद क्षेत्र अपने खुद के अनुसंधान को आगे बढ़ाने में विफल रहा है। उन्होंने छात्रों से इस खामी को दूर करने के लिये नई सोच पैदा करने को कहा।

दिल्ली के इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इनफार्मेशन टेक्नोलाजी के दीक्षांत समारोह में मूर्ति ने कहा कि बहुचर्चित भारतीय साफ्टवेयर क्षेत्र अब हर नया शोध पश्चिमी देशों से आयात कर रहा है। वह भी तब जब देश में हर साल बड़ी संख्या में साफ्टवेयर इंजीनियर निकल रहे हैं। उन्होंने कहा कि एकमात्र जोर परीक्षा पास करने तथा रटंत विद्या पर है। नई सोच तथा बुनियादी चीजों का उपयोग नहीं होने से साफ्टवेयर उद्योग की यह स्थिति हुई है।

मूर्ति के अनुसार दुर्भाग्य की बात है कि साफ्टवेयर इंजीनियरिंग, गुणवत्ता, उत्पादकता, सुरक्षा आदि के क्षेत्र में भारतीय साफ्टवेयर उद्योग में आज जो भी प्रगति हो रही है, वह पश्चिमी देशों की बदौलत है। उन्होंने कहा, ‘हम जो भी पुस्तक का उपयोग करते हैं, उसे दूसरे देश में रहने वाले लोगों ने लिखा है। हम जो भी गजट का उपयोग करते हैं और जो भी शोध हम आसपास देखते हैं, उसे दूसरे देशों में ईजाद किया गया है। आखिर ऐसा क्यों है?’

छात्रों की शिक्षा के रूख में बदलाव का सुझाव देते हुए मूर्ति ने कहा कि शिक्षा का मतलब कालेज में परीक्षा पास करना नहीं होना चाहिए और पेशेवरों को जीवन भर सीखने की प्रक्रिया जारी रखनी चाहिए। दीक्षांत समारोह में नासकाम के पूर्व प्रमुख किरण कार्निक तथा आईआईटी दिल्ली के निदेशक पंकज जलोटे ने भी भाग लिया। (एजेंसी)

First Published: Saturday, November 3, 2012, 21:55

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