स्वास्थ्य सेवा 2017 तक होगा 155 अरब डॉलर का

स्वास्थ्य सेवा 2017 तक होगा 155 अरब डॉलर का

चेन्नई : देश में स्वास्थ्य सेवाओं का कारोबार चमक रहा है और इस क्षेत्र में कमाई की संभावनाओं को देखते हुए इसमें निजी स्तर पर शेयरपूंजी लगाने वाली कंपनियों (पीई निवेशकों) की रुचि बढ गयी है। कोलकाता की एक वित्तीय सेवा कंपनी की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारतीय स्वास्थ्य सेवा उद्योग वार्षिर्क कमाई के हिसाब से 2017 तक 155 अरब डॉलर का क्षेत्र बन सकता है।

एलएसआई फिनांशल सर्विसेज की एक रिपोर्ट में उपरोक्त अनुमान लगाते हुए कहा गया है कि फिलहाल यह उद्योग करीब 65 अरब डॉलर का है। इस क्षेत्र में पिछले साल कुल 75.43 करोड़ डॉलर के शेयर पूंजी निवेश के 30 सौदे हुए थे। एलएसआई फिनांशल सर्विसेज के प्रबंध निदेशक राज्यवर्धन कजारिया ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का इस समय 4.6 फीसदी के बराबर व्यय हो रहा है। भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की अभी बड़ी कमी है।

सकरारी अस्पतालों की कमी का फायदा निजी क्षेत्र उठा रहा है। कजारिया ने कहा, देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं न केवल कम हैं बल्कि इसका पूरा उपयोग भी नहीं हो रहा है और न ही इनमें दक्षता है। इसी लिए निजी क्षेत्र को इस कारोबार में दबदबा बनाने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कुल खर्च का 74 फीसदी हिस्सा निजी क्षेत्र की ओर से है।

यह रिपोर्ट पिछले तीन-चार महीनों में भारत के 100 शीर्ष कंपनियों के सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गई है। रिपोर्ट में कहा गया, सरकारी नीति डाक्टरों को ग्रामीण क्षेत्रों की ओर आकर्षित करने के अनुकूल नहीं रही है इसलिए ऐसे क्षेत्रों में जहां देश की करीब 65 फीसदी आबादी रहती है वहां स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था अपर्याप्त है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर डाक्टर-रोगी का अनुपात 1:1700 है जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 25,000 आबादी पर एक डाक्टर उपलब्ध है। सरकार ने इस समस्या को खत्म करने के लिए 2012-13 के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के लिए 20,822 करोड़ रुपए का आवंटन किया है जो 2011-12 में आवंटित 18,115 करोड़ रुपए के मुकाबले 15 फीसदी अधिक है।

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार सकल घरेलू उत्पाद का जो हिस्सा खर्च करती है वह अन्य देशों की तुलना में कम है। रिपोर्ट में कहा गया, 2012 के बजट में सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक स्वास्थ्य सेवाओं पर सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 फीसदी के बराबर खर्च करने का फैसला किया था जो फिलहाल 1.4 फीसदी है। देश में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की कमी, ज्यादा लागत और इसमें हो रही बढ़ोतरी व मुद्रास्फीति इस उद्योग के लिए बड़ा खतरा हैं। (एजेंसी)

First Published: Monday, December 10, 2012, 15:14

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