Last Updated: Wednesday, December 19, 2012, 18:41

नई दिल्ली : सरकार ने उम्मीद जतायी कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के बीच मुद्दों का हल समय रहते निकाल लिया जायेगा। उसने ऐसे कदम उठाने का भी आश्वासन दिया जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भारतीय खिलाड़ी राष्ट्रीय ध्वज के तहत खेल सकें। खेल मंत्री जितेन्द्र सिंह ने आज राज्यसभा में कहा कि सरकार मुद्दे का हल निकालने के लिए काम कर रही है ताकि भारतीय खिलाड़ियों को परेशान न होना पड़े।
उन्होंने कहा, हमने आईओसी से बात की है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि भारतीय खिलाड़ियों को परेशान नहीं होना पड़ेगा और सरकार इस मुद्दे के समाधान के लिए 24 घंटे काम कर रही है। सिंह ने कहा, आईओए को निलंबित करने का निर्णय भारतीय खेलों के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि निकट भविष्य में अंतरराष्ट्रीय खेल कार्यक्रमों में भारतीय प्रतिभागियों पर इससे बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा।’’ खेल मंत्री ने इस बात को गलत बताया कि राष्ट्रीय खेल संहिता के जरिये सरकार खेल संघों के कामकाज में हस्तक्षेप कर रही है। उन्होंने कहा कि यह संहिता किसी भी तरह ओलंपिक घोषणापत्र का उल्लंघन नहीं करती।
खेल मंत्री जितेन्द्र सिंह ने खेल संगठनों में पारदर्शिता की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि 48 खेल परिसंघों ने सरकार की संहिता पर सहमति व्यक्त की है। इस संहिता में खेल संगठनों के कामकाज में बेहतर संचालन एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आयु एवं कार्यकाल संबंधी कुछ सीमाएं निर्धारित की गयी हैं। उन्होंने कहा कि आईओए के निलंबन के बावजूद भारतीय खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भाग ले पायेंगे। उन्होंने कहा कि एशिया ओलंपिक परिषद ने स्पष्ट किया है कि भारतीय खिलाड़ी खेल कार्यक्रमों में भाग ले सकेंगे लेकिन उन्हें आईओसी के झंडे तले आयोजन में भाग लेना होगा।
इससे पूर्व सरकार से स्पष्टीकरण मांगते हुए विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने जानना चाहा कि क्या सरकार और खेल संगठन आईओए की मान्यता बहाल करवाने के मामले में अपनी सूझबूझ का परिचय देंगे।
उन्होंने कहा कि खेल संगठन अपनी स्वायत्तता बरकरार रखना चाहते हैं। ऐसे में सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि स्वायतत्ता के साथ बेहतर संचालन के बीच संतुलन कायम किया जा सके।
इससे पूर्व भाजपा के जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि यह सारी समस्या इसलिए खड़ी हुई है क्योंकि सरकार खेल संहिता के नाम पर खेल संगठनों में हस्तक्षेप करना चाहती है। कांग्रेस के हनुमंत राव ने कहा कि खेल संगठनों के पदों पर लोग वर्षों से बरकरार हैं। उन्होंने कहा कि जब सरकार इन संगठनों को धन और सुविधाएं मुहैया कराती है तो उसे इनमें हस्तक्षेप का भी अधिकार है। जदयू के एन के सिंह ने कहा कि खेल संगठनों में लोग 15.20 साल से पदों पर बरकरार है। सरकार को एक खेल नीति तैयार कर इन समस्याओं को दूर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार का सबसे बड़ा सरोकार यही होना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में हमारे खिलाड़ी अधिक से अधिक पदक कैसे जीतें और अच्छा प्रदर्शन कैसे करें।
इनेलोद के रणवीर सिंह प्रजापति ने कहा कि आईओए के चुनाव पूरी तरह नियमों के तहत हुए हैं। लेकिन सरकार राजनीति कर रही है। सरकार की इसी नीति के कारण आईओए की मान्यता रद्द हुई है।
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि फ्रांस में एक ऐसा कानून है जो वहां के खेल संगठनों पर लागू होता है। ऐसे में हम अपने खेल संगठनों को पारदर्शी और जवाबदेह क्यों नहीं बना सकते।
भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पूरा देश यही चाहता है कि हमारे खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन करें और देश में अच्छी खेल आधारभूत सुविधाओं का विकास हो। इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार को उपयुक्त कदम उठाने चाहिए।
पूर्व खेल मंत्री एवं कांग्रेस के एम एस गिल ने खेल संगठनों में पारदर्शिता और जवाबदेही बेहद आवश्यक है। उन्होंने अपने कार्यकाल में इसके लिए उपयुक्त कदम उठाये थे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, December 19, 2012, 18:41