IOC के निलंबन के बावजूद हुए IOA चुनाव

IOC के निलंबन के बावजूद हुए IOA चुनाव

IOC के निलंबन के बावजूद हुए IOA चुनावनई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रतिबंध को धता बताते हुए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने आज अपनी वार्षिक आम बैठक और चुनावों का आयोजन किया। आईओए ने दावा किया कि उसने किसी दिशानिर्देश का उल्लंघन नहीं किया है। इस बीच सरकार और राष्ट्रीय खेल संस्था दोनों ने इस विवाद के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया।

आईओसी के चुनाव प्रक्रिया में ओलंपिक चार्टर का पालन करने में विफल रहने पर आईओए को निलंबित किए जाने के एक दिन बाद आईओए और सरकार ने एक दूसरे को दोषी ठहराया। दोनों ने हालांकि इस जटिल मुद्दे के जल्द समधान की जरूरत बताई।

आईओसी के चुनावों को खारिज करने के बावजूद आईओए ने चुनावों का आयोजन किया जिसमें रणधीर सिंह समूह के सदस्यों ने हिस्सा नहीं लिया। यह चुनाव हालांकि छोटे पदों के लिए हुए क्योंकि अध्यक्ष पद के लिए दावा पेश कर रहे अभय सिंह चौटाला को पहले ही निर्विरोध चुन लिया गया था जबकि दागी ललित भनोट नए महासचिव बने।

आईओए के कार्यवाहक अध्यक्ष वी के मल्होत्रा से वाषिर्क आम बैठक के इतर संवाददाताओं से कहा,सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया है कि चुनाव प्रक्रिया संपन्न करके हम कोई गलत काम नहीं करेंगे। हमने आईओसी को बता दिया था कि दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के कारण खेल संहिता के तहत चुनाव कराये जायेंगे। उन्होंने कहा, इसके बावजूद आईओसी ने हमें निलंबित किया लेकिन हम अपनी ओर से पूरी कोशिश करेंगे कि निलंबन जल्दी वापिस ले लिया जाये।
मल्होत्रा ने कहा, करीब 85 प्रतिशत खेल महासंघ और राज्य ओलंपिक समितियां वाषिर्क आम बैठक में मौजूद थी। फैसला सर्वसम्मति से किया गया। इस बीच खेल मंत्रालय ने कहा कि आईओसी का निलंबन के लिए आईओए की चुनाव प्रक्रिया में सरकारी हस्तक्षेप को कारण बताना सरासर गलत है।

मंत्रालय ने कहा कि खेल संहिता नहीं बल्कि आईओए का संविधान ओलंपिक चार्टर के अनुरूप नहीं है। खेल और युवा कार्य मंत्रालय के बयान के अनुसार,आईओए ने 2010 में अपने संविधान में बदलाव पर रजामंदी जता दी थी लेकिन पिछले दो साल में कोई संशोधन नहीं हुआ। यदि ऐसा होता तो आईओसी को दखल देने की जरूरत ही नहीं पड़ती। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय खेल विकास संहिता में खेल ईकाइयों के पदाधिकारियों के लिये उम्र और कार्यकाल के जो दिशानिर्देश हैं, वे ओलंपिक चार्टर के अनुरूप हैं।

बयान में कहा गया, ये दिशानिर्देश आईओसी चार्टर से ही लिये गए हैं। खेल संहिता का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि आईओए और बाकी खेल ईकाइयों के चुनाव निष्पक्ष, पारदर्शी और ओलंपिक चार्टर के अनुरूप हों। मंत्रालय ने दोहराया कि वह खेल संहिता से जुड़े सभी मुद्दों और ओलंपिक चार्टर के साथ इसकी समानता पर आईओसी और आईओए के साथ चर्चा को तैयार है।

खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि इस मामले में दखल देना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है लेकिन वह प्रतिबंध हटाने के लिये आईओसी से बात करेंगे। उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा,यह मामला सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। हम चिंतित हैं, लिहाजा हमने आईओए की बैठक बुलाकर आईओसी को लिखा है। हम मामले को सुलझाने की पूरी कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा, दो दिन पहले मैंने आईओए अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें चेताया कि ऐसा प्रतिबंध लग सकता है लिहाजा अपने संविधान में बदलाव कर लें। अब हमें एक दूसरे पर आरोप मढने की बजाय भविष्य की रणनीति तय करनी होगी।

सिंह ने कहा, मैं एक बार फिर आईओसी से बात करूंगा। उन्हें पत्र लिखूंगा कि भारतीय खिलाड़ियों के भविष्य के लिये इस समस्या का समाधान निकाला जाये। सरकार मध्यस्थता के लिये तैयार है। मैं इस मामले में खिलाड़ियों से भी बात करूंगा । (एजेंसी)

First Published: Wednesday, December 5, 2012, 20:57

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