Last Updated: Thursday, September 5, 2013, 12:43

ब्यूनसआयर्स : भारत का ओलंपिक में लौटने का इंतजार बढ़ गया है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी ) अपनी आरोपपत्र संबंधी शर्त पर कायम है। उसने साफ किया है कि भारतीय ओलंपिक संघ को सुशासन के लिये यह शर्त स्वीकार करनी होगी। आईओए ने पिछले महीने विशेष आम सभा की बैठक में आईओसी के सामने समझौता फार्मूला पेश किया जिसमें आरोपी व्यक्तियों को चुनाव लड़ने की छूट देने के लिये कहा गया था।
आईओए के प्रस्ताव के अनुसार यह नियम उन्हीं अधिकारियों पर लागू होना चाहिए जिन्हें दो साल से अधिक की जेल की सजा मिली हो। लेकिन आईओसी अपने रवैये पर कायम है। उसने 125वें आईओसी सत्र से पूर्व कल यहां अपने कार्यकारी बोर्ड की बैठक में आईओए से चुनाव कराने से पहले उसकी सभी मांगों को स्वीकार करने के लिये कहा। आईओसी ने अपनी वेबसाइट पर जारी बयान में कहा, ‘भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के दिसंबर 2012 में निलंबन के बाद आईओसी राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ( एनओसी ) के भीतर सुशासन लाने के लिये समाधान खोजने की दिशा में काम रही है। ’
इसमें कहा गया है, ‘आईओसी ने आईओए को खाका तैयार करके भेजा था और 25 अगस्त को आईओए की आम सभा में भी पर्यवेक्षक भेजे थे। कार्यकारी बोर्ड ने उनकी रिपोर्ट सुनी कि आम सभा की बैठक में आईओसी ने आईओए के संविधान में जिन संशोधनों का आग्रह किया था उनमें से अधिकतर को मंजूर कर लिया गया है लेकिन एक खास शर्त को नहीं माना गया है। ’
राष्ट्रमंडल खेल 2010 में भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे दागी ललित भनोट के पिछले साल आईओए का महासचिव चुने जाने के बाद भारत को ओलंपिक अभियान से निलंबित कर दिया गया था। आईओसी ने आईओए से अपने संविधान में संशोधन करने के लिये कहा था। उसने आपराधिक और भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे अधिकारियों को चुनाव प्रक्रिया से अलग रखने के लिये कहा था। (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 5, 2013, 12:43