Last Updated: Wednesday, December 28, 2011, 13:24
नई दिल्ली : आईओए की आंतरिक कलह ने बुधवार को नया मोड़ ले लिया जब इसके महासचिव रणधीर सिंह ने ऐसे दस्तावेज जारी किए, जिनसे उनके इस दावे की पुष्टि होती है कि हाल ही में विवादित तरीके से भंग की गई सभी समितियों का गठन कार्यवाहक अध्यक्ष की सहमति से वैधानिक तौर पर हुआ था।
अपने आलोचक और वरिष्ठ उपाध्यक्ष तरलोचन सिंह को करारा जवाब देते हुए रणधीर ने कहा कि इन समितियों का गठन कार्यवाहक अध्यक्ष वी के मल्होत्रा ने खुद किया था। तरलोचन ने कहा है कि आईओए अध्यक्ष को आमसभा की सहमति से नैतिक और अन्य समितियों का गठन फिर से करना चाहिए।
रणधीर ने दावा किया कि आईओए के कुछ सदस्य ‘खेल’ खेल रहे हैं और उन्हें हैरानी हो रही है कि कार्यवाहक अध्यक्ष को समितियों के पुनर्गठन के लिए कैसे कहा जा सकता है जबकि ये समितियां उन्होंने ही गठित की है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और हाईकोर्ट के छह सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की सदस्यता वाले मध्यस्थता आयोग को खुद मल्होत्रा ने मंजूरी दी थी। उन्होंने उलटे सवाल दागा कि इसे भंग ही क्यों किया गया। रणधीर ने यह भी दावा किया कि नैतिकता आयोग का गठन भी मल्होत्रा के हस्ताक्षर से ही हुआ।
उन्होंने एक बयान में कहा कि तीन अन्य समितियों, विपणन समिति (प्रायोजन और टीवी अधिकार), ओलंपिक खेल 2012 निगरानी समिति, लंदन ओलंपिक खेल टिकट समिति का गठन मल्होत्रा ने खुद हस्ताक्षर करके किया। नैतिकता समिति को विवादित तरीके से भंग किये जाने के बाद से रणधीर और तरलोचन के बीच वाक्युद्ध जारी है ।
रणधीर ने कल कहा था कि मल्होत्रा किसी भी समिति के गठन के लिये अधिकृत हैं जबकि आईओए उपाध्यक्ष तरलोचन सिंह ने दावा किया है कि आमसभा की सहमति के बिना ऐसी किसी समिति का गठन नहीं हो सकता। तरलोचन ने कहा कि वह नैतिकता समिति और मध्यस्थता आयोग के वह पक्ष में हैं।
First Published: Wednesday, December 28, 2011, 18:54