Last Updated: Thursday, September 6, 2012, 17:14

नई दिल्ली : देश में हॉकी के संचालन के लिए ‘हॉकी इंडिया’ को योग्य संगठन बताने वाली भारतीय ओलंपिक समिति की तीन सदस्यीय समिति के सुझाव को हास्यास्पद और पक्षपातपूर्ण बताते हुए भारतीय हॉकी संघ ने कहा है कि यह एफआईएच, हॉकी इंडिया और आईओए की मिलीभगत है।
भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष जी.एस. मंडेर की अगुवाई वाली आईओए की तीन सदस्यीय समिति में भारतीय भारोत्तोलन संघ के अध्यक्ष बीरेंद्र प्रसाद वैश्य और भारतीय हैंडबाल संघ के अध्यक्ष एस.एम. बाली शामिल थे। समिति ने बुधवार को आईओए को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा कि हॉकी इंडिया ही भारत में हॉकी के संचालन के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) के मानदंडों पर खरी उतरती है।
इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आईएचएफ प्रमुख केपीएस गिल ने कहा, ‘यही फैसला आना था। हमने समिति के गठन के समय ही उसका विरोध करते हुए स्वतंत्र और निष्पक्ष समिति के गठन की मांग की थी।’ उन्होंने कहा, ‘यह एफआईएच, हॉकी इंडिया और आईओए की मिलीभगत है। एफआईएच ने भारत को कमाई का बाजार बना दिया है जबकि हॉकी इंडिया को भारतीय हॉकी की बेहतरी की कोई फिक्र नहीं है। आईओए इसमें उनका साथ दे रहा है।’
उधर, मंडेर ने कहा कि समिति ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है और आईएचएफ को अपना पक्ष रखने के तीन मौके दिये गए लेकिन उसने सुनवाई में भाग नहीं लिया। इस पर आईएचएफ अध्यक्ष आर.के. शेट्टी ने कहा, ‘हम बैठकों में जाते तो भी फैसला यही आना था क्योंकि यह पहले से तय था। यह हास्यास्पद और पक्षपातपूर्ण है।’ शेट्टी ने कहा, ‘हालात अभी भी वही है जो 2008 में थे और जब तक एफआईएच का दखल रहेगा, इसमें सुधार नहीं आने वाला।’ आईओए ने इस बीच समिति की राय से एफआईएच को अवगत करा दिया है। इस मसले पर 24 सितंबर को होने वाली आईओए की बैठक में बहस की जाएगी। (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 6, 2012, 17:14