Last Updated: Tuesday, December 20, 2011, 09:44
नई दिल्ली : सरकार ने कहा है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड को सूचना अधिकार अधिनियम के तहत लाने के लिए उसके पास पर्याप्त कारण हैं। केंद्रीय सूचना आयोग को दिए सात पन्नों के लिखित बयान में खेल मंत्रालय ने कहा कि बीसीसीआई को सरकार से भले ही सीधे आर्थिक सहायता नहीं मिलती हो लेकिन आयकर, कस्टम शुल्क में छूट, स्टेडियमों के लिए रियायती दरों पर भूमि के रूप में उसे परोक्ष सहायता मिलती ही है।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि बीसीसीआई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों के लिए राष्ट्रीय टीम का चयन करके सार्वजनिक कर्तव्य का निर्वाह कर रहा है। प्रतीक चिह्न और नाम (अनुचित प्रयोग से बचाव) अधिनियम का हवाला देते हुए मंत्रालय ने चेताया, ‘भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड नाम से बोध होता है कि इसे सरकार से प्रश्रय हासिल है और यदि बीसीसीआई निजी ईकाई के रूप में काम करना चाहती है तो उसे नाम से ‘भारत’ शब्द हटाना होगा।’
मंत्रालय ने कहा, ‘मौजूदा हालात को देखते हुए सरकार के पास बीसीसीआई को सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण घोषित करने के पर्याप्त कारण हैं।’ सूचना आयुक्त एम.एल. शर्मा ने आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल और आलोक वार्ष्णेय की दलीलें सुनने के बाद खेल मंत्रालय को इस बारे में लिखित बयान देने के लिए कहा था कि बीसीसीआई को आरटीआई के तहत लाया जा सकता है या नहीं।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 20, 2011, 15:20